Friday, August 14, 2020

आज़ादी की मुबारकबाद !




स्वतंत्रता के ७३ वर्षों के बावजूद मन अशांत है 
क्यों लगता है के पहले से भी अधिक बंधी हैं
विचारों से मन-मस्तिष्क से अभिप्राय से बंधे हैं 
जब लड़े थे आज़ादी के लिए एक जुट होकर 
हर किसी के लिए चाहते थे मिले आज़ादी 
उन्हें न सही उनकी आनेवाली नस्ल को सही 
एक इंसानियत का जस्बा था जो हमें दे गयी 
स्वंत्रता अंग्रेज़ों से उनके अत्याचारों से मुक्ति 
मगर फिर आपस में ही लड़ते रहे आजीवन 
स्वार्थ और खोखली राजनीती और गुंडागर्दी 
कैसे कहें स्वंतंत्रादिवस की शुभकामनाएं जब 
आज भी हम आधीन हैं ईर्षा और नफरत के 
देश रह गया पीछे मगर सब हैं जीतने आगे 
धीरे-धीरे आनेवाला कल भी भूल जायेगा 
आज़ादी का संघर्ष और मूल्य शहीदों का 
एक ख्वाब तब था और एक अब भी है 
चाहे पाक हो या हिंदुस्तान दोनों को है 
आज़ादी की मुबारकबाद !

~ फ़िज़ा 

2 comments:

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा said...

सच लिखा है आपने। आज का परिवेश हमें यह सोचने को विवश करता है।

Dawn said...

@पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा: आपका बहुत बहुत शुक्रिया यहाँ आकर हौसला बढ़ाने का !

करो न भेदभाव हो स्त्री या पुरुष !

  ज़िन्दगी की रीत कुछ यूँ है  असंतुलन ही इसकी नींव है ! लड़कियाँ आगे हों पढ़ाई में  भेदभाव उनके संग ज्यादा रहे ! बिना सहायता जान लड़ायें खेल में...