दूर बहुत दूर मुझे जाना है
बादलों के उस पार जाना है
सफर लम्बा है मगर हौसला है
कठिन रास्ते दूर मंज़िल जाना है
ज़िन्दगी के खेल में चलते जाना है
संग साथ हों तो सफर चल जाना है
आओ संग दूर बहुत दूर हमें जाना है
~ फ़िज़ा
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
गुज़रते वक़्त से सीखा है गुज़रे हुए पल, और लोग वो फिर नहीं आते ! मतलबी या खुदगर्ज़ी हो एक बार समझ आ जाए उनका साथ फिर नहीं देते ! पास न हों...
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