Wednesday, January 08, 2020

हिंसा नहीं आवाज़ से विरोध करते हैं !



सहने को तो लोग यूँ भी दर्द सहते हैं
एक हद्द से ज्यादा हो तो काट देते हैं 
इलाज़ भी देखिये कभी ऐसा होता है !
जुल्म का आलम देखिए कैसा होता है 
सहते तो सब हैं मगर उसकी भी हद्द है 
हिंसा नहीं आवाज़ से विरोध करते हैं !
जानें, शासन करने वाला भी इंसान हैं 
शासन में लाने वाला भी इंसान ही है 
देखिये,एकता में सत्ता पलटने की ताक़त है !
अनपढ़ शासक अन्धविश्वास जैसा है 
सच को छुपाना और सब बहकावा है 
पढ़े-लिखे बेहके दुःख इसी बात का है !
वक़्त आगया अब एकजुट हो जाना है 
खुली आँख है मगर हकीकत दिखाना है 
खाली करो सिंहासन जनता को जगाना है !
इंसान बनकर इंसान को शासन करना है 
जब शासक ही शोषण करें तो डटना है 
निडरता से आज़ादी का नारा लगाना है !
हम देखेंगे किसका पलड़ा अभी भारी है 
क्रांति भी क्या इसी विरोध का चेहरा है 
अब बहुत हुआ, शासन नए नस्ल की है 
नयी सोच से सबका भला होना है !

~ फ़िज़ा

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