दोस्ती किसे कहते हैं?
कभी सुना कहानियों में
तो कभी देखा फिल्मों में
ज़िन्दगी कई तरह से हमें
दिखाए और सिखाये सीख
बचपन के पले बढे साथी
सालों बाद जब मिले दोस्त
जस्बे में तो दिखाई दोस्ती
दोस्ती निभाने में कर गए कंजूसी !
कुछ साल पहले मिले मेले में
मचाया धुम खाया-पिया मज़े में
वक़्त आया कुछ खरीदने की
तो कहा मेरे लिए भी ले लो कुछ
पैसे बदलकर डॉलर- रुपये में
किसी ने जैसे कुछ सुना ही नहीं
हँसते-खेलते तस्वीर खींचाते
निकल आये मेले से हम दोस्त !
उंगलियां होतीं हैं अलग-अलग
शायद यही मिसाल ली मैंने
एक बिना कहे पूरी करे आरज़ू
बदले में पैसे की बात न करना
ऐसी धमकी देते हुए खरीद लिया
दिल सोचते रेहा गया परेशान
दोस्ती आखिर क्या है?
उम्र के इस दायरे में आकर
जहाँ ज़िन्दगी को जी कर
ज़िन्दगी को जानकर देखा
फिर भी न कर पाए लोग फर्क
इंसान और पैसों के वज़न में
ज़िन्दगी शायद तेरा ही है कसूर
कुछ लोग रेहा गए कुछ सीख गए
दोस्ती आखिर क्या है बहुत कम समझे!
~ फ़िज़ा
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