जीने के लिए प्यार ही काफी है
ज़माने में ऐसा,ज़रा कम मानते हैं
इंसान को इंसान नहीं पैसों से मतलब है
फिर चाहे वो चिकित्सक हो या रोगी
हर कोई लूटने और लुटने को है तैयार
सिर्फ एक पल की ज़िन्दगी के लिए
ज़माने में ऐसा,ज़रा कम मानते हैं
इंसान को इंसान नहीं पैसों से मतलब है
फिर चाहे वो चिकित्सक हो या रोगी
हर कोई लूटने और लुटने को है तैयार
सिर्फ एक पल की ज़िन्दगी के लिए
आराम और दर्दहीन होने के लिए
जीवन मूल्य चुकाने को होते हैं तैयार
भूल जाते हैं क्या चाहिए क्यों चाहिए
तब तक, जब तक मौत खड़ी न हो सामने
सुबह की शाम होने पर जैसे लौट आते हैं -इंसान
जीवन मूल्य चुकाने को होते हैं तैयार
भूल जाते हैं क्या चाहिए क्यों चाहिए
तब तक, जब तक मौत खड़ी न हो सामने
सुबह की शाम होने पर जैसे लौट आते हैं -इंसान
इंसान को चाहिए इंसान का प्यार और उसका साथ !
~ फ़िज़ा
~ फ़िज़ा
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