पतझड़ का मौसम आया
और चला भी जायेगा
पुराने पत्ते खाद बन कर
नए कोपलें शाख पर
सजायेंगे !
तन्हाई भी कभी रूकती नहीं
रहगुजर मिल ही जायेगा
नए साथी होंगे समझनेवाले
ज़िन्दगी के स्केच में रंग
भरेंगे!
ग़मों का बादल बरस गया
हरियाली से चमन भर जायेगा
नयी खुशबु लिए मौसम ज़रा
फूलों के संग भंवरें भी
गुंजन गायेंगे !
~ फ़िज़ा
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