Friday, May 30, 2014

ज़िंदगी का काम ही जगाना था


एक ख्वाब ही देखा था 
जरूरी नही पूरा होना था
रात के बाद सुबहा होना था
मेरी सुबहा को आज आना था
जल्द ही रात का पता चलना था
सितारों कि चमक पर ना जाना था
धोखे हर हाल में खाना था
चलो एक और मोड़ पर खोना था
संभल गए यही अच्छा था
सफर में मिलना लिखा था
मिलकर अलविदा तो केहना था 
ज़िंदगी का काम ही जगाना था
मुर्दा भी कहाँ तड़पता था
खुश हुँ टुकड़े का क्या होना था
टूटके बिखरे को और बिखरना था

फिज़ा
----------------------------------------
Ek khwab he dekha tha
Zaroori nahi pura hona tha
Raat ke baad subha hona tha
Meri subha ko aaj aana tha
Jald he raat ka pata chalna tha
Sitaron ki chamak per na jana tha
Dhoke har haal mein khana tha
Chalo ek aur mod per khona tha
Sambhal gaye yehi accha tha
Safar mein milna likha tha
Milkar alvida to kehana he tha
Zindagi ka kaam hee jagaana tha
Murda bhi kahan tadapta tha
Khush hun tukde ka kya hona tha
Tootke bikhare ko aur bikharna tha

~ fiza

No comments:

अच्छी यादें दे जाओ ख़ुशी से !

  गुज़रते वक़्त से सीखा है  गुज़रे हुए पल, और लोग  वो फिर नहीं आते ! मतलबी या खुदगर्ज़ी हो  एक बार समझ आ जाए  उनका साथ फिर नहीं देते ! पास न हों...