Posts

Showing posts from February, 2025

ये वैलेंटाइन का दिन

Image
  ज़िन्दगी की भाग-दौड़ में गुज़र गए पल  कहाँ फुरसत सोचने की कैसा होगा कल ! हरदम साथ में हैं और सब कुछ साथ है  मुद्दे की बात न हो ऐसा भी अक्सर होता है ! अनियोजित मुलाकात कुछ ऐसा रंग लायी  ज़िन्दगी के बाकि हिस्से की तयारी हो गयी ! उसने कहा, ज़िन्दगी तो बस तुम्हारे ही साथ है  निवृत्ति से पहले हमें साथ दुनिया घूमना है ! कुछ लम्हों की मुलाकात और बातों ने मुझे  ज़िन्दगी-भर जीने की ऊर्जा और ख़ुशी देदी  ! ये वैलेंटाइन का दिन भी कितना गज़ब है  प्यार के नए बीज़ बोने की जगह बना गयी ! ~ फ़िज़ा 

उसके ग़ुस्से पर भी प्यार आता है

Image
  उसके ग़ुस्से पर भी प्यार आता है  क्यूंकि प्यार जो मुझ से ज्यादा है  !! उसका पेहल न करना अखलाता है  मगर मेरे पेहल का इंतज़ार करता है !! उम्मीद बनाये रखना भी प्यार ही है  वर्ना पलटकर सोते ही हाथ न पकड़ता !! खट्टा-मीठा प्यार कश्मीरी चाय जैसे स्वाद दोनों का मिले इश्क़ हो ज्यादा !! आज भी नयापन है रिश्ते में बरसों से  वो गुदगुदाहट जब वो धीमे से मुस्कुरा दे !! नयी कोपलें नयी चिंगारियाँ अदभुत सा  नये मौसम में मोहब्बत हौसलेमंद सा !! ~ फ़िज़ा 

मगर ये ग़ुस्सा?

Image
  जाने किस किस से ग़ुस्सा है वो ? अपनों से? ज़माने से? या मुझ से? क्या मैं अपनों में नहीं आती? उसकी हंसी किसी ने चुरा ली है  लाख कोशिशें भी नाकामियाब हैं  उसे हर बात पे गुस्सा आता है ! अब तो और कम बोलता है वो  रिवाज़ों में बंधा है सो साथ है  अकेलेपन से भी घबराहट है ! इसीलिए भी शायद साथ है  मगर ये ग़ुस्सा? ज़माने भर से है ! उम्मीद ही दिलासा दिलाता है  इस ग़ुस्से का कोई तो इलाज हो !!! ~ फ़िज़ा