ज़िन्दगी दे उम्मीद

 


ज़िन्दगी दे उम्मीद तु उसे नज़रअंदाज़ न कर 

ये ज़िन्दगी के वो ईशारे हैं जो बुलंद कर दे !


हस्के मिलो सभी से दुश्मनी कहाँ है किसी से  

खाली हाथ आये तो खाली हाथ ही जाएंगे !


दुरी रखो जहां तख़मीना हो जल जाने का 

इंसान से क्या डरना जब मरना है सबको !


रिश्ते प्यार के बन भी जाये कभी विषाक्त 

दोस्ती के नाम से हुतात्मा निरर्थक है दोस्त !


ज़िन्दगी है जब तक तू जीवित है फ़िज़ा 

मरकर भी क्या कोई जी सका है यहाँ !!


फ़िज़ा 

Comments

Bharti Das said…
बहुत ही सुन्दर रचना
Dawn said…
Sushil Kumar Joshi ji aapka bahut bahut dhanyavaad, abhar!

Bharti Das ji, aapka behad shukriya, abhar!!

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