मैं तो इस पल का राही हूँ
इस पल के बाद कहीं और !
एक मेरा वक़्त है आता जब
जकड लेता हूँ उस पल को !
कौन केहता है ये पल मेरा नहीं
मुझे इस पल को जानना है !
नया दौर नयी दिशा सही है मगर
वक्त के संग बदलना चाहता हूँ !
इस पल से इस पल के लोगों से
मैं मिलकर राह बढ़ाना चाहता हूँ !
तुम मुझे अपना सको तो जानूँ दोस्त
मैं हारने वालों में से तो हूँ ही नहीं !!!
~ फ़िज़ा
5 comments:
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना,मेरे ब्लॉग पर भी आइएगा सादर
वाह! बहुत खूब!
बहुत ही सुन्दर सार्थक सृजन
वाह!!!
बहुत सुन्दर
Abhilasha Ji, Shubha ji, Sudha Ji evam Alok ji aap sabhi ka bahut bahut shukriya meri rachna ko padhkar use sarahane aur meri houslafzayee karne ka, dhanyawaad!
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