सेहर


 सुबह की सर्द हवाओं से 

एक हलकी सी मुस्कान 

जैसे सूरज की किरणें 

फैलतीं हैं रौशनी ऐसे 

लगे गुलाबी सा गाल 

एक सादगी और शर्म 

दोनों ही साथ रहकर 

नज़रों को बेहाल करे 

पहली मोहब्बत का 

नज़ारा सेहर दिखाए 


~ फ़िज़ा 

Comments

Popular posts from this blog

मगर ये ग़ुस्सा?

फिर बचपन सा जीना चाहती हूँ...

प्रकृति का नियम