ज़िन्दगी की सब से बड़ी पहेली है...!
ज़िन्दगी के धूप-छाँव तो आते-जाते हैं
यही सीखा और समझा ये ज़िन्दगी है
वक्त का तकाज़ा या खेल ज़िन्दगी है
समय के साथ ज़िन्दगी थक जाती है
समय के साथ ज़िन्दगी साथ आती है
मगर कुछ ज़िन्दगी इस साल लायी है
अंदाज़ और अंगड़ाइयों में जो नज़ारा है
अफ़सोस अधिक, अन्धकार ज्यादा है
समय के साथ ज़माने के बदलते तेवर हैं
छोटा गया बड़ा पीड़ित इसमें हेर-फेर है
ज़िन्दगी अब कोविड के हाथों चलती है
इसके लपेट में कौन आएगा कौन नहीं है
यही ज़िन्दगी की सब से बड़ी पहेली है
अब तो हर खबर जो सुनने में आये है
वो कोविड के नाम से एक षडयंत्र है
नियति का या समय का रचा खेल है !
फ़िज़ा
Comments
सार्थक प्रश्न।
वाह!!!