आज का दिन भी बड़ा सुहाना था
हर दिन की तरह प्यार मोहब्बत
इन्हीं सब चीज़ों से भरा पड़ा था
कितने ही पन्ने किताबों के पढ़ लो
सफ़ा नयी कहानी नये सिरे से था
दिल किसी अल्हड की तरह फंसा
२०-२१ की उम्र-इ-दराज़ पर और
सफ़ा बड़ी रफ़्तार के संग पलटता
मगर यहाँ किसको पड़ी है जल्दी
हमें तो अल्हड़पन का है नशा अभी
कल जब आये देखेंगे उस कल को
आज को दबोचलें बाँहों में कसके
गुज़रते लम्हों को सेहलाते मचलाते
ज़िन्दगी बस यूँही चल गुन -गुनाते
मस्ती में गाते नाचते झूमते इठलाते
फ़िज़ा मस्ती में अभी और महकते
जन्मदिन तुम अच्छी रही आज मुझ से !
~ फ़िज़ा
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