Saturday, March 17, 2018

मचलते हैं अरमान मेरे दिल में जवां ...!


अंगड़ाई लेते हुए बादलों का कारवाँ 
चले हैं बरसाते हुए झरने कई यहां 
मचलते हैं अरमान मेरे दिल में जवां  
सौंधी खुशबु गिली मिटटी नहरें यहाँ 
हरियाली हर तरफ गुलाबी दिल कहाँ  
भीगे रुत में भीगे अरमान भीगे ये समां 
मुझे कायल करते हैं पिया की अदा 
बेबस हूँ आज बस निकल जाने दो 
भीगना है मुझे जैसे भीगे हैं अरमां   
कोई केहदो जहाँ से न आये यहाँ 
हम हैं ग़ुम अपने ही खवाबों में जहाँ 
सिर्फ हम हैं वो है और ये समां 
अंगड़ाई लेते हुए बादलों का कारवाँ 
चले हैं बरसाते हुए झरने कई यहां 
मचलते हैं अरमान मेरे दिल में जवां 
~ फ़िज़ा 

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