नयी खोज में नया सफर है ...
नए डाल पर फिर इतराने
निकल पड़ा है चंचल मन
नयी कोंपलें, नयी पत्तियां
नयी खुशबु सी महकाते चल
छोड़ पुराने पगडंडियों को
नयी खोज में नया सफर है
भीगे ज़मीन में खुले आसमान पे
ख़्वाब सजाने और संवारने
कोमल अरमान खिल गए हैं
वही जोश है वही हौसला भी
जो कभी था बचपन में साथी
नए डगर की तलाश आज
फिर मुझको युवा बना गया
नए सलिखे नयी बातें सब
सीखने के फिर दिन आये हैं
चलो बैठकर ज्ञान ले लें
कब ऐसा मौका मिल जाये
नए खेत में नए खलियानों में
खेल-कूदने के दिन आये हैं
नए डाल पर फिर इतराने
निकल पड़ा है चंचल मन !
~ फ़िज़ा
Comments
Krutidev to unicode font converter
Fiza