Tuesday, September 05, 2017

अभिव्यक्ति की स्वंतंत्रता हक़ है हर एक का !!


हैवानियत पर उतर आये लोग 
जब किसीने दिखाया आईना
आईना था ही इतना भयंकर 
खुद भी न देख सके चेहरा 
प्रतिरूप देख कर सिर्फ 
हत्या ही बन पड़ा उनसे !
कब तक करोगे बंद आवाज़ 
कब तक करोगे हातपाई 
कब तक करोगे गुंडागर्दी 
आखिर कब तक ये सहेंगे भी 
एक से बढ़कर एक आवाज़ 
पैदा होगी जनतंत्र में कई यहाँ !
हर दबायी आवाज़ को बुलंद कर 
जहाँ आवाज़ को खामोश किया 
वहां कलम से तू काम कर, प्रहार कर  
निडर निर्मोही कर निर्लज अन्याय का 
प्रजातंत्र को न मायूस कर यूँ हैवान  
एक आवाज़ को दबाने वाले प्राणी !
सौ खड़े हो जायेंगे बनकर वही आवाज़ 
तर्कसंगत से बनेगा एक स्वच्छ समाज 
अभिव्यक्ति की स्वंतंत्रता हक़ है हर एक का !!   
  
~ फ़िज़ा 

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