दिल को वीरान रखा
शरीफों सा रहना सीखा
जैसा ज़माना कहता है
वैसा रेहन -सेहन रखा !
सोचा कोई रखे न रखे
ज़िन्दगी को दाव पे रखें
सेवा में जीवन को परखें
औरों की ख़ुशी में सुख देखें !!
निष्कलंक मन से की सेवा
सुख के रूप में पाया मेवा
वीरान दिल में था बस लावा
प्रेम-सागर का मंथन पाया !!!
~ फ़िज़ा
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