कयी महीनों के दौरान उसमें
एक बदलाव सा आया है
हालात ने उसे अपने साथ
की आदत डलवाया है !
उसे देख बहुत दिनों बाद
मेरे अंदर एहसास जगाया है
वो बदला तो हालात से
मगर जज़्बात आज भी वही है !
उसकी बातें किसी से थी मगर
उसकी मुस्कान अब भी वही है
भोली सी बातें, भोली सी हंसी
वही मोहब्बत की गुदगुदाहट है !
हालात कैसे भी हों आज या कल
एहसास तब भी और अब भी यही है
दिलों में संजोये रखना ये प्यार क्यूंकि
दुनिया से नज़र लगने का धोका है !
भुलाना नहीं ये प्यार किसी सूरत
मोहबब्त हर किसी से नहीं होती है !!
~ फ़िज़ा
2 comments:
फिज़ा आपके लेखन और कविता मे काफी गहराई हैं. आपके कवितायें सामान्य से अलग हटकर है. इसे कायम रखे.
bahut bahut shukriya padhne ka aur us per apni rai dene ka
~ fiza
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