ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
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दिल की मर्ज़ी
खूबसूरत हवाओं से कोई कह दो यूँ भी न हमें चूमों के शर्मसार हों माना के चहक रहे हैं वादियों में ये कसूर किसका है न पूछो अब बहारों की शरा...

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लोगों की भीड़ थी पार्क में जैसे कालीन बिछी ज़मीं पे एक ठेला चलाता हुआ दिखा जो भर-भर लाशें एक-एक कोशिश करता बचाने की डॉक्टर ने पुछा और क...
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चाय की पत्ती पानी संग कुछ उबाल दूध चीनी का ढेर सारा प्यार दोस्ती का चाय की चुस्की में मानों सुख मिले सारे संसार का दोस्ती और चाय क...
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एहसास ! जो उस पल में रेहने संवरने के ख़ुशी में बाकि हर पल को भूल जाने या भुला देने में जो शायद उम्र भर फिर हो और इस पल के बाद फिर शायद ...
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