ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
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ज़िन्दगी दे उम्मीद
ज़िन्दगी दे उम्मीद तु उसे नज़रअंदाज़ न कर ये ज़िन्दगी के वो ईशारे हैं जो बुलंद कर दे ! हस्के मिलो सभी से दुश्मनी कहाँ है किसी से खाली हाथ आ...
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फिर नया साल आया वोही पुराने सिलसिले मास्क टीके बूस्टर संग उम्मीदों से भरा नया साल कोशिश अब भी वही है खुश रहो, सतर्क रहो नादानी से बच...
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जिस बात से डरती थी जिस बात से बचना चाहा उसी बात को होने का फिर एक बहाना ज़िन्दगी को मिला कोई प्यार करके प्यार देके इस कदर जीत लेता है ...
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दशहरे के जाते ही दिवाली का इंतज़ार जाने क्यों पूनावाली छह दिनों की दिवाली एक-एक करके आयी दीयों से मिठाइयों से तो कभी रंगोलियों से नए...
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