ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
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इसरायली बंकर
आओ तुम्हें इस खंडहर की कहानी सुनाऊँ एक बार सीरिया ने अंधाधुन धावा बोल दिया इसरायली सिपाही इस धावा के लिए तैयार न थे नतीजा ३६ इसरायली सिपा...

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औरत को कौन जान पाया है? खुद औरत, औरत का न जान पायी हर किसी को ये एक देखने और छुने की वस्तु मात्र है तभी तो हर कोई उसके बाहरी ...
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ज़िन्दगी से जब कुछ भी नहीं थी उम्मीद तब हज़ारों मुश्किलें भी लगती थीं कमज़ोर ज़िन्दगी को जीना आगया था तब उलझनों से मौत या दुःख-दर्द...
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तेल अवीव शहर के एक छोटे से बाजार से गुज़रते हुए इस बेंच पर नज़र पड़ी दिल से भरे इस बेंच को देख ख़ुशी हुई तभी किसी ने कहा, - देखा है उस आदमी...
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