कभी-कभी प्यार इंसान को उस ऊँचाई तक ले जाती है
जब वो अपने दायरे को लाँघ कर आगे निकल जाती है
फिर वो किसी एक की नहीं रेह जाती....
रोज़मरे की बातों से हटकर कुछ गुलाबी एहसासों को
पिरोने की एकमात्र कोशिश है....
आप की राय की मुंतजि़र
तुम्हारे प्यार के बरसात की एक बूँद
समेट लिया है मैंने मेरे आँचल में
आज एक बीज बनकर ही सही
कल एक कँवल बन के खिलेगा
अपनी खुशियों की दास्तान
वो सुनायेगा सभी को
दिलाकर एहसास हमारे प्यार का
वो राहगिर जगह-जगह घूम आयेगा
~फिजा़
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
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अच्छी यादें दे जाओ ख़ुशी से !
गुज़रते वक़्त से सीखा है गुज़रे हुए पल, और लोग वो फिर नहीं आते ! मतलबी या खुदगर्ज़ी हो एक बार समझ आ जाए उनका साथ फिर नहीं देते ! पास न हों...
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फिर नया साल आया वोही पुराने सिलसिले मास्क टीके बूस्टर संग उम्मीदों से भरा नया साल कोशिश अब भी वही है खुश रहो, सतर्क रहो नादानी से बच...
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जिस बात से डरती थी जिस बात से बचना चाहा उसी बात को होने का फिर एक बहाना ज़िन्दगी को मिला कोई प्यार करके प्यार देके इस कदर जीत लेता है ...
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दशहरे के जाते ही दिवाली का इंतज़ार जाने क्यों पूनावाली छह दिनों की दिवाली एक-एक करके आयी दीयों से मिठाइयों से तो कभी रंगोलियों से नए...
3 comments:
वाह। :-)
pyar le jata hai hota hai le jati nahi hota.. u cud have used word "preet"
Kya baath hein Dawn ji
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