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सुनियेगा मेरा पॉडकास्ट !

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दोस्तों हाल ही में मैंने अपना एक हिंदी में पॉडकास्ट शुरू किया है.  ये पॉडकास्ट मैंने एंकर अप्प के ज़रिये शुरू किया है, जहाँ मैं रोज़ नए-नए, मनचाहे विषयों पर बात करती हूँ - ये है UshaDawn - Hindi Podcast   ये पॉडकास्ट आप गूगल , एप्पल पॉडकास्ट , और spotify में भी सुन सकते हैं. दर रोज़ मैं पसिफ़िक टाइम सुबह के ३ बजे पब्लिश करती हूँ - आप सुनियेगा ज़रूर ! कुछ खट्टी-मीठी बातें लेकर  आयी हूँ कुछ वक़्त बिताने  संग तुम सभी के मिलकर  जीवन की कुछ विस्मय बातें  पसंद आये तो संग चलना   नहीं आये तो कहते जाना  साझेदारी है मिलकर करना  प्रतिक्रिया जो भी हो दे देना  मगर मेरा ये पॉडकास्ट तुम  ज़रूर सुनना दोस्त हो आखिर ! ~ फ़िज़ा

मेरी भाषा हिन्दी !

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  मेरे ख्वाब, मेरी सोच, मेरे बोल, मेरे ख्याल , सभी कुछ जेहन में मेरे , यूँ सजकर संवरकर हैं, वो प्रेम हो या क्रोध, एहसास हो या भावना, कविता हो या गद्य या  हो कहानियाँ दिल में  सभी आते हैं हिंदी में  आत्मविश्वास जगाता  हिन्दी भाषा है वो दाता  मधुर, सरल, सहज है  बोलने, समझने में है  बदलती सबकी काया ! ~ फ़िज़ा  हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं !

आज कुछ अजब सा देखा

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  आज कुछ अजब सा देखा  बात तो दोनों की सही थी  दोनों ही अपने पेट वास्ते  जीवन का नियम संभाले  एक तो बिल से निकला  दूजा पेड़ से उड़कर आया  निकले दोनों पेट की खातिर  बस एक ही भरपेट खाया  जीवन का भी खेल देखो  किसका अंत व शुरुवात  जो भोजन बना वो नादान  जिसने खाया वो भी नादाँ  प्रकृति के कटघरे में सही  मगर अपने दिल से पूछूं  तब भी सही लगा मगर  जाने वालों का अफ़सोस  तो ज़रूर होता है मन को  ऐसा ही कुछ हुआ हम को  जब से देखा हादसे को  ! ~ फ़िज़ा 

पितृ-दिवस की शुभकामनाएं - अच्चा

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  पिता की उंगली पकड़ कर चलना  ये तो पैदा होते ही सिखाया माँ ने  उंगली पकड़ते चलते सँभलते हुए  हर इच्छाएं मेरी पूरी की हमेशा से  कभी किसी बात से डर भी होता तो पिता की आड़ में रहकर कहते  जब कोई बात मनवानी हो माँ को   पिता के नाम का ही डर जताती वो   हर-उतार चढाव में ज़िन्दगी के मेरे  एक हौसला, साथी ढाल बनके रहे  वो शख्स जिसे सिर्फ याद करने से  दुनिया भर की खुशियां हौसले मिले  ~ फ़िज़ा 

चाय की चुस्की

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  चाय की पत्ती पानी संग  कुछ उबाल दूध चीनी का   ढेर सारा प्यार दोस्ती का  चाय की चुस्की में मानों  सुख मिले सारे संसार का    दोस्ती और चाय के किस्से  जग-ज़ाहिर हैं कई ज़माने से  एक चुस्की और गयी थकान  गुज़रे कई सालों के साथ आयी  कई किस्से कहानियां बचपन की  वो अदरक की चाय और प्रशंसा  चुस्की बाद सभी का दुलार - प्यार मानों एक लम्बे सफर के बाद का  ठहराव !!! ~ फ़िज़ा 

मोहब्बत करने लगी हूँ

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  फिर गुस्ताखी करने चली हूँ खुद से मोहब्बत करने लगी हूँ  चाँद अब मेरा पीछा करता है  उस मुये से अब मैं छिपती हूँ  आहें भरते है दोनों तरफ आग  डरती हूँ  और मिलना भी चाहूँ दिल ओ दिमाग से मसरूफ हूँ  गुनगुनाती फ़िज़ा ख्यालों में घूम हूँ  ~ फ़िज़ा 

दिल या दिमाग ?

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  आज कॉलेज के दोस्तों संग  यूँही बातों-बातों में दो पक्ष  दिल व दिमाग की हुई जंग  दिल तो है ही दीवाना मेरा  मैंने तो सिर्फ दिल की सुनी  जो दिमाग के पक्ष में था वो  दिल से दिमाग कह रहा था  साथियों के इमदाद से जो  बहस-मुबाहिसा हुई दोनों में  क्या कहना उस वक्त का  उसे भी हराकर बात बढ़ी  दोस्तों संग फिर कब होंगे  आमने-सामने पता नहीं  पर चैटिंग करते दिन पुराने  कॉलेज के यादों में चला गया  उम्मीद पर कायम है दुनिया  और हम तो मिलेंगे फिर से  जब हो परिहार महामारी का  शायद तब भी दिल और दिमाग  की ही जंग में खुल जायेंगे सब  बचपन के बंधे गिरह दिल के और  दिमाग के ! ~ फ़िज़ा