Saturday, February 13, 2021

तरुवर की माया

 



देखता सब है वो मगर नज़र उस पर नहीं 

खबर सबकी है उसे जानता कोई भी नहीं !


ख्याल वो सबका रखता उसका कोई नहीं 

उसके सहारे फलते मगर नाम उसका नहीं !


सेहता कोई भोगता कोई सच कोई जाने नहीं 

मौज करता कोई वो कर्म करता कहता नहीं !


जैसा सभी को दिखता है वो असल में है नहीं 

उम्र गुज़री धुप-छाँव में अब कोई पूछता नहीं !!  


~ फ़िज़ा 

No comments:

खुदगर्ज़ मन

  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है  अकेले-अकेले में रहने को कह रहा है  फूल-पत्तियों में मन रमाने को कह रहा है  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! ...