देखता सब है वो मगर नज़र उस पर नहीं
खबर सबकी है उसे जानता कोई भी नहीं !
ख्याल वो सबका रखता उसका कोई नहीं
उसके सहारे फलते मगर नाम उसका नहीं !
सेहता कोई भोगता कोई सच कोई जाने नहीं
मौज करता कोई वो कर्म करता कहता नहीं !
जैसा सभी को दिखता है वो असल में है नहीं
उम्र गुज़री धुप-छाँव में अब कोई पूछता नहीं !!
~ फ़िज़ा
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