कोरोना के दिन,महीने निकल गए
इनके साथ त्यौहार जन्मदिन भी
संभलते बचते-बचाते निकल गए
सुना छह दिनों की दिवाली अब के
एक-दो दिन ही मनाई गयी इस साल
न आना और न ही किसी को बुलाना
सभी अपने-अपने संतुष्टि के अनुसार
मना रहे होली और ये आयी दिवाली
सोशल मीडिया न होता तो त्यौहार भी
इस कोरोना की तरह घरों में दब जाती
एक बात का पता चल गया इस बार
कुछ सजने-संवरने के बहाने ही सही
घर की सफाई हुई और चार लालटेन
दीयों के कतार रंगोलियों में सजने लगे
मिठाइयां घर की न सही हलवाई से ही
घरों में रोशन हुए दिवाली के संस्कार यूँही
पटाखों की बात अलग है पर्यावरण को सोच
समय निर्धारित ही सही मगर फुलझड़ियां
खुशिओं के जलाये तो होंगे न इस बार भी?
दीप जलाओ -दीप जलाओ आज दिवाली रे
नए वस्त्र, नए कानों में कुण्डल मगर वो पल कहाँ
जब मिट्टी के किले बनाकर राजा, मंत्री घोडा सजाते
रंगोली से सजी गद्दी पर महाराज शिवाजी को बैठाते
दिवाली तो हम तब मनाते अब सिर्फ रस्म हैं निभाते
दीपावली की मगर सबको हैं शुभकामनाएं देते
एक दिया उनके लिए भी जलाना जो नहीं हैं साथ
एक उनके लिए भी जलाना जो हैं सरहद पर खड़े
खुशियाँ और त्यौहार हर किसी के हिस्से बराबर नहीं आते
एक मिठाई उनके नाम की भी किसी को ज़रूर खिलाना
दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली रे !
~ फ़िज़ा
6 comments:
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 15 नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वह उमंग वह उत्साह नहीं त्यौहारों में फिर भी मनाए तो जा ही रहे हैं.
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज सोमवार (१६-११-२०२०) को 'शुभ हो दीप पर्व उमंगों के सपने बने रहें भ्रम में ही सही'(चर्चा अंक- ३८८७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
बेहतरीन रचना...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🌷
सुंदर रचना
शुभकामनाएँ
@Digvijay Agrawal: Bahut bahut shukriya aapka
@ प्रतिभा सक्सेना : Bilkul sahi kaha aapne manaye to ja rahe hain :) shukriya abhar!
@अनीता सैनी: Bahut-bahut shukriya aapka - abhar!
@Dr (Miss) Sharad Singh: Dhanyavaad aapka, shubhkamanaon ke sath abhar
@ सधु चन्द्र : Dhanyavaad aapka, shubhkamanaon ke sath abhar
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