Roz hain takhti aankhein ose
Roz dil ki baatein hoti hain
Jab chahain hum EID mana lain,
Chaand hamara apna hai
Chaand hamara apna hai
Nikhar aajati hai har taraf 'fiza'
Deed jab mere chaand ki hoti hai!
~ fiza
~ fiza
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
गुज़रते वक़्त से सीखा है गुज़रे हुए पल, और लोग वो फिर नहीं आते ! मतलबी या खुदगर्ज़ी हो एक बार समझ आ जाए उनका साथ फिर नहीं देते ! पास न हों...
No comments:
Post a Comment