मेरे सवाल का कोई तो हल निकालो..!!?!!
कभी बचपन के वो दिन याद हैं, जब पंछियों को उडते देख मन मचल उठता था, माँ-पापा, या फिर टिचर की डाँट से बचने का एकमात्र मूलमंत्र....उन पंछियों को देख लालायित नहीं हो उठता था?....
ऐसे ही कुछ पलों के क्षणों को अक्षरों के सूत्र में बाँधने की एक छोटी सी कोशिश.....
नील गगन में उडते पंछी..
एक सवाल आज हम भी कर लें?
कौन देस से आती हो तुम?
कौन देस को जाती हो तुम?
आना जाना कितना अच्छा...
हम जैसे न पढना-लिखना
जब चाहे तब फुरर् हो जाना
जब चाहे जिस डाल पे बैठना..
काश! हम भी पंछी होते..
तुम संग पेंग से पेंग मिलाते
टिचर की न डाँट सुनते..
कुछ केहते ही फुरर् हो जाते
पंछी..पंछी, जल्दी बतलाओ..
मेरे सवाल का कोई तो हल निकालो..!!?!!
~फिजा़
ऐसे ही कुछ पलों के क्षणों को अक्षरों के सूत्र में बाँधने की एक छोटी सी कोशिश.....
नील गगन में उडते पंछी..
एक सवाल आज हम भी कर लें?
कौन देस से आती हो तुम?
कौन देस को जाती हो तुम?
आना जाना कितना अच्छा...
हम जैसे न पढना-लिखना
जब चाहे तब फुरर् हो जाना
जब चाहे जिस डाल पे बैठना..
काश! हम भी पंछी होते..
तुम संग पेंग से पेंग मिलाते
टिचर की न डाँट सुनते..
कुछ केहते ही फुरर् हो जाते
पंछी..पंछी, जल्दी बतलाओ..
मेरे सवाल का कोई तो हल निकालो..!!?!!
~फिजा़
Comments
koi teeka tippni nahi.
socha hai kabhi aapko meri kavita parh kar kin ki Kavita yaad aati hai...dhanya huye hamare bhag...:) waqai natmastak hokar aapko pranaam :)
shukriya dost!
:) shukriya nahi kahoongi :D
@kumar chetan: janab kaun kise chane ke zhad per chadha raha hai ye to ...aap khud hee soch lijiye :)...waise..aap anpadh hain to itne kam lafzon mein kaise...pazirayee kar dete hein :) phir hum kya kahein...!!!
@nagu: mujhe behad khushi hoti hai sirf yehi dekhkar ke iss nacheez ki kavita koi to parhta hai :) aur oss per aise aise dil ko choone wali baatein keha dein to mein kya kahoon....dil baag baag ho jaata hai sach poochiye to...
bahut shukriya doston apne iss apnaiyat ka...!!! waise Javed sahab ko oss geet ke liye puraskar bhi mila hai...:)
Javed ji mere fav poet mein se hain aur Jagu ji ka kya kehana :)
You all made my day
Thanks
In the meantime, please update your English blog :):).
kl: dear...if thts the case then practise here ;) n am sure u will be best among bongs ;)
cheers
"
फ़िजा ये दूनिया तेरी है
पंछी से ना पूछ कराओ..
देखो तुम भी उड सकती हो,
मन मे आशा के पंख लगाओ.
मंजिल एक नज़र मे रखो
मेहनत से तुम जी ना चुराओ.
जब तक मंजिल ना आ जाये
बस तुम यूँ ही उडती जाओ.
"
बधाई...समीर लाल
Ye kavita oon dino ki hai jab adhyapika chahti thin ke hum magazine ke liye hindi kavita likhein...shayad woh hamare iss ruchi ko jaan gayee thin...aur hum the oos waqt khelne ke junoon mein...:)
aapka bahut bahut shukriya jo yahan iss kavita se chaar chaand laga diye :)
aage bhi isilaah dete rahiyega :)
cheers