Friday, June 18, 2021

चाय की चुस्की

 


चाय की पत्ती पानी संग 

कुछ उबाल दूध चीनी का  

ढेर सारा प्यार दोस्ती का 

चाय की चुस्की में मानों 

सुख मिले सारे संसार का   

दोस्ती और चाय के किस्से 

जग-ज़ाहिर हैं कई ज़माने से 

एक चुस्की और गयी थकान 

गुज़रे कई सालों के साथ आयी 

कई किस्से कहानियां बचपन की 

वो अदरक की चाय और प्रशंसा 

चुस्की बाद सभी का दुलार - प्यार

मानों एक लम्बे सफर के बाद का 

ठहराव !!!

~ फ़िज़ा 

10 comments:

Nitish Tiwary said...

चाय कलयुग का अमृत है और चाय पर कविता। क्या कहने!

anita _sudhir said...

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-06-2021) को 'भाव पाखी'(चर्चा अंक- 4101) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।

अनिता सुधीर

Anupama Tripathi said...

चाय हर किसी की प्रिय! वाह सुन्दर रचना!

अनीता सैनी said...

बहुत ही सुंदर सृजन।

Onkar Kedia said...

बहुत ही सुंदर

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहुत खूब...
उम्दा ...

मन की वीणा said...

सुंदर एहसास अनमोल से।

Anuradha chauhan said...

बहुत सुंदर

Dawn said...

Aap sabhi ka behad shukriya :) houslafzayi ka bahut-bahut shukriya
Abhar!

विमल कुमार शुक्ल 'विमल' said...

चाय में शक्कर नहीं डाला करो, बस मुस्कुराकर सामने प्याला करो

करो न भेदभाव हो स्त्री या पुरुष !

  ज़िन्दगी की रीत कुछ यूँ है  असंतुलन ही इसकी नींव है ! लड़कियाँ आगे हों पढ़ाई में  भेदभाव उनके संग ज्यादा रहे ! बिना सहायता जान लड़ायें खेल में...