ज़िन्दगी किसी की मोहताज़ नहीं
फिर भी इंसान शुक्रगुज़ार नहीं
जीना गर तुम्हारी फितरत में नहीं
किसी और की ज़िन्दगी बर्बाद भी नहीं
खुदगर्ज़ और खुदफहमी में रहना नहीं
साथ रहनेवालों को बेचैन, ज़िन्दगी नहीं
बहुत हुआ नेकी करनी सोचा अभी नहीं
वो वक्त गुज़रकर जाना यहाँ से दूर नहीं
अलविदा कहना अब इस वक़्त ठीक नहीं
उस दिन की आस ज़रूर है जब हम नहीं !
~ फ़िज़ा
फिर भी इंसान शुक्रगुज़ार नहीं
जीना गर तुम्हारी फितरत में नहीं
किसी और की ज़िन्दगी बर्बाद भी नहीं
खुदगर्ज़ और खुदफहमी में रहना नहीं
साथ रहनेवालों को बेचैन, ज़िन्दगी नहीं
बहुत हुआ नेकी करनी सोचा अभी नहीं
वो वक्त गुज़रकर जाना यहाँ से दूर नहीं
अलविदा कहना अब इस वक़्त ठीक नहीं
उस दिन की आस ज़रूर है जब हम नहीं !
~ फ़िज़ा
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