Friday, October 25, 2024

अम्मा का प्यार


दुःख क्यों होता है ये ऑंसूं क्यों नहीं रुकते 

२००५ में मिली थी तुमसे न सोचा कभी 

इस कदर स्नेह भर दोगी अपने वास्ते !


पहली मुलाकात और ढेर सारा प्यार 

जहाँ भी जाती संग ले जाती हर जगह 

अपनायियत और स्नेह से बांध लिया !


भेदभाव न किया बेटी और बहु में 

जो भी दिया इज्जत और प्यार से 

मुझ ही से मुझे छीन लिया इस कदर !


आज दिल रो रहा है यादों में समेटे हुए 

कुछ मोहलत और मिल जाती हमें 

कुछ और लम्हे बिता पाते संग तुम्हारे !


ढूंढ रहे हैं तस्वीरों में अब भी तुम्हें 

आंसू मगर क्यों नहीं थमते मेरे 

तुम्हारे चुटकुलों को सोच बहते हैं आँसू मेरे !


इस कदर छाप छोड़ गए हो दिल पर 

तुम सा बनने की कोशिश करेंगे ज़रूर 

जाते हुए भी प्यार की सीख दे गयी !


~ फ़िज़ा 

 

अच्छी यादें दे जाओ ख़ुशी से !

  गुज़रते वक़्त से सीखा है  गुज़रे हुए पल, और लोग  वो फिर नहीं आते ! मतलबी या खुदगर्ज़ी हो  एक बार समझ आ जाए  उनका साथ फिर नहीं देते ! पास न हों...