Saturday, April 28, 2018

एक भयानक सपना ...!




किसी के ख़याल में
मैं आज भी हूँ
कोई दूर है तो भी
सोचता है मुझे
सालों बात नहीं होती
अन्य माध्यम से
जानकारी रखली
खुश हुए
जब सवेरे की नींद में
बुरा सपना जो देखा
जिसमें मैं गंदे कमरे में
फँसी हुई कहीं जकड़ी हुई
लगे सवेरे-सवेरे फ़ोन करने
हाल-चाल पूछने
मेरी खैरियत की दुआ करने
शायद जीने का अर्थ मिल गया
शायद इस लायक तो मैं रही
किसी को मेरी खैरियत की
फ़िक्र, ख़याल, शुभिच्छा,
धन्य हूँ मैं इस जीवन में
कोई इस लायक तो समझा हमें
दोस्ती वही है और सिर्फ वही !

~ फ़िज़ा 
#happypoetrymonth

1 comment:

Jazz_baaatt said...
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Garmi

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