Sunday, March 21, 2021

ज़िन्दगी !!!


 

ज़िन्दगी जो सालों में न सीखा सकी

वो दो साल में सब सीखा गयी 

जीना-मरना तो हर किसी को है 

मगर कैसे जीना है ये बता गयी !


ज़िन्दगी फूल है खिलकर बिखरना 

खिलना अपने दम पे मरना शान से 

खुशबु सबकी अलग है भूलना नहीं 

मुकाबला करना कभी तो वो खुद से!


ज़िन्दगी एक रेल है चलना है काम 

स्टेशन आये तो रुक जाना है और 

मुश्किलें आये तो सिटी बजाना है 

मदत मांगने से कभी डरना नहीं है !


ज़िन्दगी एक आइसक्रीम है मीठी 

जिसे खाकर ख़त्म करे दुगना मज़ा 

मगर पिघल जाये तो क्या जिया 

छोटी सी सही मिठास देकर जाना !


~ फ़िज़ा 

Wednesday, March 10, 2021

वृक्ष की कथा

 




वो पल जब किसी की भी 

चाह नहीं 

किसी का भी साथ 

चाहिए नहीं 

वक्त के गुज़रते लम्हों से 

कोई वास्ता नहीं 

किसीको किसी की भी 

फ़िक्र नहीं 

चलता है मुसाफिर मंज़िल 

पता नहीं 

भटकता फिरता है हर जगह 

ठिकाना नहीं 

अब बहुत देर तक चलते रहे 

ख़त्म होता नहीं 

थक गया है वृक्ष अब तो तनों में 

पत्ते भी नहीं 

ले देकर सिर्फ कुछ हड्डियां हैं 

बाकि कुछ भी नहीं 

मेरे बाद अब तो कोई मुझे 

करेगा याद भी नहीं !

~ फ़िज़ा 

ज़िन्दगी जीने के लिए है

कल रात बड़ी गहरी गुफ्तगू रही  ज़िन्दगी क्या है? क्या कुछ करना है  देखा जाए तो खाना, मौज करना है  फिर कहाँ कैसे गुमराह हो गए सब  क्या ऐसे ही जी...