Thursday, April 30, 2020

सीखने का समझने का मौका मिला ...



बहुत बातें हम सीखते हैं 
जानते हैं और समझते हैं 
के सब पता है कम से कम 
जानकारी तो है मगर नहीं 
कनाडा के इस सफर में 
बहुत कुछ सीखने का 
समझने का मौका मिला 
जैसे के समलैंगिकता 
ये दुनिया में हर जगह है 
मगर मैंने पहले कभी 
अपने देश में इस लफ्ज़ 
का इजहार भी नहीं देखा 
एक बात समझ आयी 
हम सब इंसान हैं फिर भी 
अलग-अलग हैं सोचते 
अपनी-अपनी हस्ती के हम 
सभी को साथ है रहना 
अच्छा लगा के यहाँ खुल के 
बात तो किया जाता है 
अच्छी हो या बुरी बात 
अगर छुपाके दबाके रखोगे 
तो कुछ भी तो नहीं बदलेगा 
और हर जगह और इंसान 
में विकास आता है सिर्फ 
सवालों से आवाज़ों से 
जो के बहुत ज़रूरी है 
वर्ना ये एक बेबसी है 
कूएं में रहे मेंढक समान 

~ फ़िज़ा 

Wednesday, April 29, 2020

नयी दुनिया के नए नज़ारे


बैंक में खाता खुल गया और 
चैक किराये का पादरी को दे दिया 
चैक लेते वक़्त पादरी ने कहा ये है 
येशु की महिमा अपरम्पार प्रेस डा लार्ड !
उसके बाद उन्होंने प्रार्थना करने बुलाया 
सारा परिवार था वहां प्रार्थना करने 
बाद में अकेले में बुलाकर पादरी ने कहा 
मैं भारत के लिए रवाना हो रहा हूँ परसों 
तुम्हें वादा करना होगा के इस बीच तुम 
दूसरे पादरी के फ़ोन पर वहाँ नहीं जाओगी 
मैं हैरान-परेशान के ये विषय अब भी विषय है?
खैर मैंने पुछा क्या हुआ पादरी जी ऐसा क्यों?
कहने लगे मेरी बीवी बीमार रहती है और वो 
ये सदमा बरदाश्त नहीं कर सकती तुम्हें जाना है 
तो अभी निकल जाओ न के मेरे जाने के बाद !
मेरा अपना कोई ऐसा इरादा नहीं था और 
मैंने तो पहले ही ज़बान भी दी थी के मैं हूँ 
फिर ये सवाल क्यों? 
पादरी ने कहा जाने से पहले तुमसे ये वादा चाहिए 
मैंने भी निवांत होकर लौटने की शुभकामना दी  
उसके बाद पादरी काफी ख़ुशी-ख़ुशी भारत गए  
यहाँ हम रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी जीने लगे  
तब दूसरे पादरी का फ़ोन अचानक से आया 
मानों मैंने ही उन्हें बुलाने के लिए कहा हो 
पादरी की बीवी ने फ़ोन देते हुए कहा 
क्या तुमने उस पादरी से फ़ोन करने कहा था?
अब मैं इन पादरियों के बीच फूटबाल बन गयी 
मैंने मना किया तो कहा बात नहीं करोगी तो 
वो समझेंगे मैंने जानकर फ़ोन नहीं दिया तुम्हें!
बंदी करे तो क्या करे और क्या न करे?
फ़ोन पर बात हुई और वहां से दावत का न्योता 
जो भी हो स्तिथि की गंभीरता को जानते हुए 
मैंने मना कर दिया और इस तरह से कहा के 
पादरी की बीवी को सुनाई भी दिया सही से 
पादरी की बीवी खुश हुई उस दिन बड़ा प्यार दिया
वक़्त बीत रहा था टॉम के रसोई में आते ही 
पादरी की बीवी उसे वापिस अपने कमरे में भेज देती 
पादरी की बेटी मुझे अपना हमदर्द मानकर 
मुझे अपनी गायकी, अपनी पसंद-नापसंद 
सब कुछ कहा देती मैं सोचती हम सब एक जैसे ही हैं 
इसी बीच पादरी की बेटी ने मुझ से कहा 
तुम और मुझ में ज्यादा फर्क नहीं है दिखने में 
क्या तुम मेरा पहचान पत्र लेकर परीक्षा दोगी ?
गणित पढ़ाना तो ठीक था बिना फीस के 
मगर ये क्या मुझे तो जेल भेजने की योजना?
खैर मैंने सलीके से कहा देखो मेहनत कर के आयी हूँ 
यहाँ तक आकर मैं जेल नहीं जाना चाहती 
अच्छे से पढ़ो और परीक्षा दो सब ठीक होगा 
बच्ची १३ साल की थी मगर सहेली सी थी 
मुझे हमेशा उदास, शांत देख एक दिन पूछ बैठी 
मेरे साथ चलोगी कुछ दिखाना है तुम्हें  
मैंने कहा तुम्हारी मम्मी मना तो नहीं करेंगीं?
कहने लगी नहीं उनका उस दिन काम है 
हम दोनों साथ चलेंगे बस किसी से कहना नहीं 
उस दोपहर मैं और पादरी की बेटी दोनों चले 
पहले टी टी सी बस फिर, सबवे, स्ट्रीटकार 
इस सब के बीच में वो कहतीं हैं के आपने देखा उसे?
मैंने हैरान होकर पुछा किसे?
लेस्बियन जो बैठी थी आपके पास उसे 
लेस्बियन (समलैंगिक)? वो कैसे पता चलता है ? 
मैंने तो किसी को नहीं देखा ऐसे !

~ फ़िज़ा 

"मैं हूँ भी और नहीं भी "!



दुबले-पतले सांवले से रूप में 
बड़ी-बड़ी आँखों से कहने-सुनने वाले 
तन के जैसे भी थे तुम मन के धनी रहे 
गहराई में जा बैठे हैं सभी के दिल में 
किरदार के अंदर घुसकर रेहा जानेवाले 
बहुत कम होते हैं मगर तुम नहीं न रहे 
अदाओं से अभिनय से आवाज़ से कातिल 
खो दिया संसार ने तुम्हें अब भी नहीं यकीन 
अफ़सोस न देख पाएंगे नए किरदार तुम्हारे 
नए चोंचले नए सहारे नए करतूतों से हँसते हँसाते 
एक दिव्यचरित्र भांति सदियाँ याद रखेंगी 
शुन्य स्थान रहगया अभिनय जगत में इरफ़ान 
ठीक ही कहा गए आखिर तुम "मैं हूँ भी और नहीं भी "!

~ फ़िज़ा 

Tuesday, April 28, 2020

पैसों का खेल


इस तरह कैसे एक महीना बीत गया,
येशु की कृपा मेरा काम और घर के काम 
सभी में व्यस्त रहते हुए भी ज़िन्दगी उदास
मुझ से जो प्यार से बातें किया करते थे 
पादरी अब धीर-गंभीर हो गए एक बदलाव 
पादरी की बीवी बहुत ज्यादा प्यार जताती 
उनकी बेटी को पढ़ाई में मदत करने के लिए 
मुझ से कहा ट्यूशन दिया करो गणित में 
आये दिन माँ -बेटी की घमासान लड़ाई 
कभी मैं बेटी को समझती के माँ को उल्टा जवाब न दो 
तो कभी पादरी की बीवी से के यहाँ बच्चों पर हाथ न उठाओ 
बच्चे पुलिस बुलवालेते हैं अपने माता-पिता पर 
और बुलाते कैसे नहीं जब माँ गरम चिमटे से मारती
कुछ हाथ नहीं आया तो बेटी के लम्बे बाल ही खेंचती 
जैसे-तैसे झगड़े रुकवाए मेरी ट्युशंगीरी भी उतनी बढ़ी 
ट्यूशन के पैसे या फिर अनुवाद के पैसे में प्रभु येशु आ जाते 
महीना ख़त्म होने से पहले किराया मगर पूछ लिया 
खैर इन सब के बीच मेरी पहली तन्ख्वाव मिली 
महीने के २७५  डॉलर आते ही २५० किराया गया 
जो बचा उस से बस के टिकिट खरीदे बस 
इसी बीच कंपनी ने कहा चेक का खर्चा होता है 
अपनी एक बैंक में खाता खुलवालो ताके तन्ख्वाव वहां पहुंचे 
किसी ने कहा टी डी बैंक अच्छी बैंक हैं अकाउंट खुलवालो 
बस क्या था हम वहां पहुंचे एक देसी महिला थी अडवानी 
हाल-चाल पूछने के बाद अकाउंट खोलने के औपचारिकताएं पूरी हुईं 
उन्होंने कहा खाता खुल गया महीने के  पांच डॉलर फीस देनी होगी 
भारत में तो कभी बैंक अकाउंट में अपने पैसे रखने की फीस नहीं दी 
फीस किस बात के देने हैं? मेरे अपने पैसे तुम्हारे बैंक में रखने के ?
श्रीमती अडवानी ने कहा बैंक तुम्हारे पैसे की हिफाजत करता है 
इसके फीस लगते हैं और जितने बार पैसे निकलोगे उसके भी 
बड़ा कठिन लगा ये व्यवहार के एक तो कम पैसे उसे रखने के भी पैसे?
नयी जगह के नये तौर-तरीके यहीं से सीखने शुरू हुए !

~ फ़िज़ा 

Monday, April 27, 2020

येशु के मार्ग-दर्शन में ...




टॉम अपनी गाडी लेकर मुझे लेने आया 
टॉम के बारे में कुछ कहूं तो क्या कहूं? 
कभी  बातें करने का मौका ही नहीं मिला 
जब भी मैं रसोई में होती वो आता पूछने 
आप विवाहित हो ? लगता नहीं, झूट बोलते हैं  !
मुझे कभी इस सवाल का जवाब देना नहीं पड़ा 
क्यूंकि बीच में पादरी की बीवी आ जाती थीं 
ग़ुस्से से बेटे को अपने कमरे में जाने कहतीं 
और मुझ से कहतीं यहाँ के बच्चे सभी बिगड़े हैं 
मैं हंसती और बस काम में व्यस्त हो जाती 
आज पहली बार इस तरह अकेले टॉम को भेजा 
ताज्जुब भी लगा और हैरानियत भी हुई उसे देख 
गाडी में बैठने के बाद मैंने शुक्रिया इजहार किया 
और टॉम ने बड़े सलीके से कहा यहाँ इतनी रात 
सुरक्षित नहीं हैं इसीलिए संभालना ज़रूर आगे से 
चुप-चाप सारे रस्ते हम घर पहुंचे रात के १२ बजे थे 
पादरी की बीवी नाराज़ थीं उन्हें पसंद नहीं आया,
रात को देर से आना ठीक नहीं मगर मेरी नौकरी भी तो 
पादरी और उनकी बीवी की सोच ज़रा अलग थी 
पादरी कहते ऐसी नौकरी नहीं चाहिए येशु देख लेगा सब 
पादरी की बीवी कहती नौकरी तो ज़रूरी है मगर..!
भारत में औरतों को देर काम पर रखना नियमविरुद्ध है  
यहाँ सभी बराबर के हिस्से में हैं ऐसा महसूस होता 
इसी बीच पादरी मुझे एक हिंदी भाषी के घर ले गए 
यहाँ पर स्त्री हिन्दू से पेंटिकोस्टल क्रिस्चियन बन गयी 
मगर पति हिन्दू धर्म ही अपनाना चाहते थे एक घर में 
मुझे मिलाया गया उनसे  और कहा गया किस तरह 
वो ग़लत राह से येशु के मार्ग पर आकर खुश हैं 
अपने पति के मुर्तिपुजन पर आपत्ति जताते हुए 
वो बहुत दुखी प्रकट आयीं और मैं सिर्फ सुनते रही 
शाम की चाय-नाश्ते बाद जब हम निकले घर की ओर 
पादरी ने फिर धर्म-उपदेश देना शुरू किया और कहा 
तुम्हें कुछ करना नहीं है सिवाय हामी भरने की 
तुम्हें ईसाई दीक्षा अनुसार धर्म बदलने में मदत करूँगा 
तुम येशु के मार्ग-दर्शन में कदम रखते ही सब कुछ पा लोगी 
उम्र का लिहाज़ और फिर मेरे मकान-मालिक होने की वजह से 
मैंने हँसते हुए कहा के ठीक हैं करेंगे देखे येशु तो पैसे देते नहीं 
किराया तो आप मॉफ करते नहीं फिर जो नौकरी तनख्वा देती है 
उस से तो कम से कम मुझे निष्ठा रखने से न रोको 
कुछ नहीं तो मैं अब आपका किराया तो दे पाती हूँ ?
पादरी को बात कुछ जची नहीं वो नया पैंतरा सोचने लगे !

~ फ़िज़ा 

Sunday, April 26, 2020

उस रात जब मैं रास्ता भूल गयी थी


हर सुबह गीतों का अनुवाद किया करती,
येशु महान है  उसकी सेवा में ही महिमा है 
ऐसा वक़्त भी होता था जब पादरी की बीवी 
सब्ज़ियां कटवाती, नरियत खिस्वाति और 
उन्हें जिपलॉक में डालकर फ्रिज में रखती 
एकाध बार ठीक है मगर ये रोज़ का काम हुआ 
मैं किराया तो देती हूँ फिर ये सब क्यों करवाते थे?
एक दिन यमुना से मिलने उसके काम पर KFC पर गयी 
व्यस्त थी ग्राहकों के साथ मगर बातें करती बीच में 
उससे बातें करते हुए पता चल ये सब योजना थी 
यमुना का किराया बढ़ाया गया ताके वो वहां से निकल जाये 
हमारी बढ़ती दोस्ती पादरी और बीवी को नापसंद जो थी 
बहुत ही मतलबी सा लगा ये सब किसी को बेवजह तंग करना 
मैंने अपनी तरफ की कहानी भी सुनायी और यमुना ने कहा 
तुम्हें उनके घर का काम नहीं करना चाहिए तुम किरायेदार हो,
खैर यही समझ आया के मुझे किसी को भी ना कहना नहीं आया !
मैं अन्य जगहों पर नौकरी की अर्ज़ी भेजा करती पोस्ट द्वारा 
एक-दो इंटरव्यू के लिए भी गयी थी मगर 
यही  जाना के हर जगह मैं अधिअहर्ता थी 
सप्ताहांत मैं काफी व्यस्त रहती और घर देर से पहुँचती 
शहर से घर तक की दुरी काफी थी दोनों एक छोर से दूसरे छोर थी 
एक रात मैं अपना स्टॉप भूल गयी और एक सुनसान जगह पर उतरी 
एक खास बात विकसित देशों में गली की बत्ती नहीं होती 
ये मेरे लिए काफी अजीब बात थी क्यूंकि भारत में तो हर जगह थी 
गाओं में शायद नहीं हो पर अब तो वहां भी बिजली आगयी है  
अँधेरे में रास्ते का पता-नाम पढ़ना मुश्किल था और मैं पहुंची गतिरोध पर 
जल्दी से यहाँ -वहां देखा एक टपरी दूकान नज़र आयी,
दौड़ी जल्दी से उस तरफ और पुछा क्या एक फ़ोन कर सकती हूँ ?
वहां एक सार्वजनिक फ़ोन था मगर मेरे पास चार आना नहीं था 
वहां एक बंदा दूकान से बाहर आते नज़र आया तो ,
तो मैंने २ डॉलर के छुट्टे देने का अनुरोध किया 
बंदा अजीब तरह से देखते हुए चार आने वहां के देकर चल दिया 
धन्यवाद कहते हुए मैंने पादरी के घर फ़ोन लगाया 
पादरी की बीवी ने फ़ोन उठाया और मैंने कहाँ, ' आंटी में रास्ता खो चुकी हूँ 
उन्होंने पुछा किस चौराहे पर हो नाम बताओ?
घूमकर देखा और चौराहे का नाम दिया 
उन्होंने कहाँ वहीं इंतज़ार करो हम आकर साथ ले जायेंगे,
मैं डरी थी, मैं थकी थी, चिंतित भी के सब का परिणाम क्या होगा?
देखा जब मैंने दूर से टॉम अपनी कार में था !!!

~ फ़िज़ा 

Saturday, April 25, 2020

यमुना के बगैर जीवन ...



वो एक उदास शाम थी जब पता चला उस रात के 
यमुना घर बदलकर चली गई वो मेरे खुशियों का आश्वासन थी 
दोस्त थी वो मेरी हमेशा मदत की उसने, एक बात ठानी थी हो न हो,
ज़िन्दगी में अच्छे दोस्त हों तो सब ठीक होता है अगले दिन काम पर गयी 
और यमुना से बात की चाहती तो थी के वापिस आने को कहूं 
मगर इतना हक़ भी नहीं था, 
बात हुई और एक बड़ी बहिन की तरह सलाह दी फंसना नहीं कभी,
पादरी लाख कोशिशें करेंगे धर्म के उपदेश से परधर्म अवलम्बी करने 
मगर तुम काम पर ध्यान देना खर्चे-पानी के बिल जो देना है 
मेरे उन्मुखीकरण के बाद तो जैसे हफ्ते भर बेकार सी थी 
छुट्टीवाले दिन व्यस्त रहती प्रशिक्षण जो मिल रहा था 
एक कैनेडियन चीनी स्त्री थी जो केशियर प्रमुख थी 
काम करने के दिन अपनी शिफ्ट ख़त्म होने तक प्रशिक्षण देती 
बाद में पता चला वो भारतीय थी कलकत्ता की निवासी थी 
काम करने वाले हफ्ते जन परिवहन प्रातःकाल से शुरू रहती 
सप्ताहांत जन परिवहन की कहानी कुछ अलग थी,
ज़िंदगी निराशाजनक रही यमुना बगैर 
येशु ने तो  ख़ुशी और आजीविका लानी थी मगर अफ़सोस ऐसा नहीं था 
अपने आपको उस छोटे से कमरे में बंद कर अपनी डायरी लिखा करती थी 
कभी घरवालों से अपना दुःख लिखती छह पन्नों से भरा पत्र 
उसे फाड़कर फ़ेंक देती क्यूंकि चाहती नहीं के पत्र उन तक पहुंचे  
परिवारजनों को अपनी तकलीफों से वाकिफ करना अच्छी बात नहीं 
क्यूंकि इन बातों से उनका भी दिल दुखी होगा और इतनी दूर रहकर फ़िक्र होगी 
तो क्या करोगे तुम? जियो अपने ही कष्ट में तुम !

~ फ़िज़ा 

Friday, April 24, 2020

ज़िन्दगी मेट्रो में


ज़िन्दगी टोरंटो में मेरे लिए साहसी रही 
जब शहर में नए और अनिश्चित हो तब डरपोक भी 
मैं  और भी बुरा सोचती इस वजह से सतर्क ज्यादा थी
उस रात जब मैं किंग स्ट्रीट से रवाना  हुई थी,
मार्ग नया था और समय भी मेरे लिए नया ही था 
सच कहूं तो, मैं डरी हुई थी इसीलिए सतर्क भी थी
जब सतर्क हों तब सभी को शक्की नज़र से देखते हैं 
मैं स्ट्रीटकार में घुसी, वो खाली थी  बिलकुल,
कभी आपको खालीपन से घबराहट हुई है ?
यहाँ स्ट्रीटकार का ड्राइवर था, एक बेघर इंसान 
और मैं !
उसने पेशाब कर रखी थी पतलून में और घुर रहा था मुझे 
अंदाज़ा लगा सकते हो के मेरा क्या हाल हो रहा था तब ?
ऐसा अनुभव हर रोज़ का था मेरे लिए, 
नयी जगह, नया दिन, नया अनुभव,
एक ऐसा अनुभव जो अपने देश में नहीं महसूस किया,
इस बात से बड़ी हुई थी के हर चीज़ को संदेहयुक्त देखो 
ज़िन्दगी तो हमेशा अनुचित होती है, मैंने हमेशा उससे ज्यादा बुरा सोचा 
इस वजह से भी मैंने हमेशा बुरे वक़्त में भी उपाय ढूंढ़ना सीखा,
यही बात मेरे हमेशा किस्मत से काम भी आयी,
 हर रात जब मैं बस से उतरती थी 
दोनों तरफ देख भागने लगती थी 
चारों तरफ अँधेरा और सन्नाटा भी होता 
अगर आप सोचें तो वो एक तनावपूर्ण रात होती थी 
तनावग्रस्त जब घर पहुंचती और पॉल बेर्नाडो के बारे में सुनती 
एक औरत के लिए आसान नहीं है और अकेली तो बिलकुल भी नहीं 
फिर भी, सभी बाधाओं से मैंने अपनी रक्षा करना ही सोचा,
मुझे याद है, जिस दिन से पॉल बेर्नाडो की कहानी सुनी,
मैंने हर रात एक नयी चाल सोचती घर पहुँचने तक 
जैसे ही कार को अपनी ओर आते देखती, मैं पास वाले घर में चली जाती
नज़दीक के घर में ऐसे जाती मानों वो मेरा ही घर है 
और जैसे ही कार चली जाती मैं तेज़ी से अपने घर की और दौड़ती 
अपनी रक्षा करना जैसे मानो हर बार कोई चाल चलना दूसरों से !

~ फ़िज़ा 

Thursday, April 23, 2020

शाम भयानक सी रूप में बदल गई..


मेरा पहला उन्मुखीकरण एक नए देश में 
मैं उत्सुक और उत्साहित दोनों ही थी 
हर एक निगम का का चेहरा होता है 
उन्मुखीकरण एक अच्छा जरिया है
नयी शुरुवात करने का अवसर है 
ये तुम्हारी उम्मीदों को बढ़ावा देता है 
किस तरह तुम तरक्की करोगे उनके संग 
मुझे यकीं है हम सभी ऐसा ख्वाब देखते हैं 
और मैंने भी देखा !
उस शाम महाराष्ट्रियन महिला संग बिता,
शहर के बीचोबीच किंग स्ट्रीट में रहती थी 
पते के अनुसार मैं पहुँच गयी थी सही जगह 
दस्तख दी दरवाजे पर और महिला को देखा,
उसकी नौ साल की बेटी भी संग थी 
एक बहुत ही अच्छी श्याम गुज़री थी 
मैं शुक्रगुज़ार थी खूसबसुरत शाम के लिए 
रात बहुत देर तक महिला ने अपने घर रखा 
मुझे घर पहुँचने में बहुत देर होगयी इस वजह  
रात बिलकुल गहरा अँधेरा सा था 
मुझे डरना तो नहीं चाहिए फिर भी मैं डर रही थी 
घर की चाबी से दरवाजा खोला और अंदर देखा 
पादरी की बीवी जागी थी और पूछने लगी 
कहाँ गयी थी? इतनी रात सफर करने डर नहीं लगता?
मुझे तुम्हें चौक्कन्ना कर देना चाहिए ये टोरंटो शहर है 
जहाँ पॉल बेर्नाडो जैसे इंसान रहते हैं 
वो रात बिलकुल भयानक सी रूप में बदल गई
अपने बिस्तर पर आकर दरवाजा बंद कर लिया 
येशु मुझे घुर रहे थे और में उन्हें !

~ फ़िज़ा 

Wednesday, April 22, 2020

अगला निमंत्रण...!


अगले दिन उन्मुखीकरण है मोवेनपिक में 
विचार-विमर्श के लिए पादरी ने बुलाया
कहा गया मेरा कमरा ऊपर होगा अब से,
घर के तहखाने से ऊपरी मंज़िल की ओर,
ये तो हुई तरक्की और खुश हुई इस बात पे 
क्या कहें यमुना भी स्थान परिवर्तन कर रही थी,
एक दिन में इतने परिवर्तन संभालना मुश्किल था 
 न्यूनतम तन्ख्वाव में है तो भी नयी नौकरी लगी है 
परन्तु यमुना को अब रोज देख भी न पाऊँगी मैं 
यकीन नहीं होता मगर दिल अंदर से खुश न था 
अजीब सा महसूस हो रहा था जैसे पेट में हो दर्द 
और तुम्हें पता नहीं होता के उलटी होगी अब के.. 
समझ ही गए होंगे मैं क्या कहा रही हूँ भयानक सा 
उसी रात मेरा कमरा ऊपरी मजले में बदला गया 
छोटा सा कमरा, एक बिस्तर, एक मेज़ और कुर्सी 
एक कोठरी की दीवार जिस पर येशु मुझे घूरते हुए 
मुझे ये सब एक जानबूझकर किया षड़यंत्र सा लगा 
यमुना को न अब देख पाऊँगी न ही बात कर पाऊँगी 
येशु के घूरने से तंग आकर मैं उसी से प्यार कर बैठूं?
शुरुवात के लिए ये एक अच्छी मानसिक यातना रही 
अगले दिन तैयार होकर नौकरी के लिए घर से निकल रही थी  
पादरी ने पूछ-ताछ की कहाँ जा रहे हो? अभी मैं नयी हूँ यहाँ
अपनी नयी नौकरी की बात की और उन्होंने कहा घबराओ नहीं 
येशु सबका ख्याल रखेगा सुनते ही  मैंने लपक कर पुछा -
क्या येशु मेरा किराया देंगे आपको? और वो मुस्कुरा दिए !
मैंने कहा आपको किराया देने के लिए मुझे नौकरी करनी होगी 
इस बीच जो भी वक्त मिलेगा अनुवाद मैं करती रहूंगी 
इस बात से वो ठीक थे जो भी समायोजन था और मैं निकली 
रिचटरी इंक कंपनी के मुख्यालय, टोरंटो शहर मैं पहुंची 
वहां एक रिसेप्शनिस्ट थी जो की भारतीय थी 
मैं उन्मुखीकरण के लिए इंतज़ार कर ही रही थी 
उस भारतीय स्त्री ने पुछा मैं महाराष्ट्र से हूँ? मराठी भाषी हूँ?
आमतौर पर मैं न कहा देती मगर मैंने हाँ कहा, मैं पुणे से हूँ 
वो खुश हुईं और कहने लगी वो बॉम्बे से है, क्या मराठी जानती हो?
मुझे अच्छी मराठी आती है सो हामी भरी और फिर क्या था 
अगला निमंत्रण ही मिला घर पर दावत के लिए !

~ फ़िज़ा 

Tuesday, April 21, 2020

एक फ़ोन आया मोवेनपिक से ...



अगले दिन सब कुछ वैसा ही था 
सामान्य जैसे, नाश्ता और सफाई 
बैठक कक्ष में प्रार्थना की तैयारी 
सलाह मिला ईश्वर की राह में चलो 
और ज्यादा यमुना के संग न फिरो 
अजीब सा लग रहा था जैसे पिंजरे में 
तभी एक फ़ोन आया मोवेनपिक से 
पादरी के घर का नंबर दिया था उन्हें 
वे मिलना चाहते थे उसी दोपहर को 
हड़बड़ाहट थी के जल्दी पहुँचाना है 
तभी पादरी को लगा ये सब ठीक नहीं 
जल्दी तैयार हुई और फिंच की बस पकड़ी 
फिंच से डंडास और वहां से Eaton सेण्टर 
उम्मीद नहीं थी पर वक़्त पर पहुँच गयी 
मैनेजर ने स्वागत किया और हाथ मिलाया 
फिर रेस्टोरेंट के पीछे अपने संग ले चली 
सीढ़ियों पर बैठाया और खुद भी बैठीं वो 
जैसा की होता है साक्षात्कार भी हुआ और 
हमने भी पेशेवर की तरह जवाब दिए सब ,
केशियर की नौकरी मिल ही गयी आखिर 
प्रति घंटे के न्यूनतम मजदूरी पर तनख्वा 
काम करने के दिन मुझे कोई काम नहीं 
सप्ताहांत के दो दिन सिर्फ काम होगा 
दुःख हुआ के इतनी मेहनत का फल ये 
उम्मीद नहीं खोयी बाकी के पांच दिनों की 
अगले दिन से उन्मुखीकरण पर जाना था 
मगर उस रात यमुना का इंतज़ार किया 
यमुना काम से बहुत थकी सी नज़र आयी 
मगर आते ही फ़ोन आने की खबर ली 
मैंने भी तपाक से पुछा बूझो तो कहाँ से ?
खुश थी वो मेरे लिए और मेरे फैसलों से 
के मैंने बायोडाटा मोवेनपिक में भी दिया 
फिर,
मेरे कुछ कहने से पहले यमुना ने पुछा 
तो फिर क्या कहा? बात नहीं करना मुझे से ?
मैं हैरान, पूछ बैठी कैसे जानती हो ये सब?
यमुना हंसकर बोली मेरे साथ भी किया ऐसा 
मैं कैथोलिक हूँ अपनी ज़िन्दगी से खुश हूँ 
जब भी पादरी धर्म का उपदेश देते मुझे,
मैं अपनी पार्टियों की तस्वीर दिखाती 
तब तक तो उनकी पत्नी उन्हें बुला ले जाती 
उनकी समझ मैं बुरी हूँ खुदा के पथ पर नहीं 
जो भी हो मैंने सबकुछ कहा दिया यमुना से 
बात की गंभीरता को मैं अब भी नहीं समझी 
जब तक यमुना अपने संपर्क साधन देने लगी 
मुझे इल्म नहीं था क्या हो रहा है मेरे साथ 
मेरे पास भारत से लायी फ़ोन की डायरी थी 
हर किसी के संपर्क करने की जानकारी थी 
जाने कब कौन आ जाये बचाव के लिए !

~ फ़िज़ा 

Monday, April 20, 2020

क्या मैं लगती हूँ उसकी?



आज बहुत जल्दी सेहर होगयी,
योजना अनुसार जाना जो था,
बचे हुए बायोडाटा लेकर निकली 
यमुना भी पूरी तैयार थी निकलने,
सुनिश्चित किया के आवाज़ न हो,
किसी के जागने के पहले धीरे से ,
घर से रवाना हुए दोनों  सवेरे-सवेरे,
मेरा पेहला दिन इस नए शहर में टहलने,
यमुना के संग ही सही टहलने तो निकले 
कुछ क्षणों के लिए आज़ाद पंछी सा लगा,
घर से टीटीसी बस स्थल का रास्ता दिखाया,
दो डॉलर का टोकन देकर बस में घुमाया हमें,
एक टोकन से आप जहाँ चाहो चले जाओ,
जब-तक टीटीसी की सीमा में रहो तब तक 
जब लौटो तो अगला टोकन दिखाकर चलो 
बहुत ही सरल और सस्ता सा लगा सफर,
बस के सफर का आनंद उठाकर अच्छा लगा,
हम बस से फिंच स्टेशन पर आ उतरे और 
भूमिगत रेल में सफर कर डंडास स्ट्रीट पहुंचे 
सफर बेहद सुखद और खुशगवार सा था 
बहुत हँसे  पादरी के मज़ाकिया बातों पर 
डंडास स्ट्रीट से चलते पहुंचे Eaton सेण्टर 
शॉपिंग मॉल कई मंज़िलों से बनी वास्तुकला 
इतनी खूबसूरत ईमारत पहले कभी न देखा,
जैसे-तैसे घूमते लगे देखने नज़ारे हर तरफ 
यमुना ने पुछा कितने हैं बायोडाटा हाथ में 
दो बायोडाटा से कुछ नहीं होगा केहकर 
लगी फोटो कॉपी की दुकान से ३० कॉपी लेने 
मेरी आँखें भीग गयीं, यमुना सोचे बगैर 
करने लगी पैसा खर्चा मुझ पर भला क्यों?
क्या मैं लगती हूँ उसकी? चंद दिनों की दोस्ती 
१५ मेरे हाथ दिए और १५ खुद रख लिए 
कहने लगी एक छोर से तुम शुरू हो जाओ 
अगली छोर से मैं शुरू हो जाती हूँ 
हर दूकान, भंडार, रेस्टोरेंट में देदो ,
कहीं न कहीं तो तुम्हें नौकरी मिल जाएगी 
दोनों अपने छोर से शुरू हुए हर जगह 
क्या आप नौकरी में भर्ती कर रहे हो ?
कृपया बायोडाटा रखलो नौकरी की तलाश है  
सारे काम कर थककर चूर भुख भी लगने लगी 
सोचा मोवेनपिक रेस्टोरेंट में कुछ खा लेते हैं 
उसने पास्ता लिया और मैंने बामी गौरंग 
पैसे उसने दिए और हम खाने लगे ,
खाते-खाते नज़र रेस्टोरेंट पर पड़ी 
सोचा यहाँ भी एक बायोडाटा थमा देते हैं 
पुछा यमुना से एक बायोडाटा यहाँ भी देदें?
कहने लगी अगर तुम चाहती हो तो दे दो 
केशियर के पास पहुंची जो ग्राहकों को संभाल रही थी 
पूछने लगी हमसे क्या बात हैं कैसे मदत करें?
नौकरी की तलाश में हैं क्या आप भर्ती कर रहे हैं 
जी हाँ, केशियर की ज़रुरत है हमें आपने किया है काम,
नए हैं हम तो मगर काम सीख लेंगे बायोडाटा दें क्या?
बिलकुल दो, हम अपने मैनेजर से कहेंगे ज़रूर तुम्हारे लिए 
अगर तुम नयी हो यहाँ तो अंगेरजी कैसे बोल लेती हो?
कहा भारत में स्कूल में सीखा है और मुस्कुराकर चल दिए 
यमुना संग घूमने मिला और शहर को देखने का मौका मिला 
सारे दिन का अनुभव एक प्रसन्नता से भरा था नया था 
तब तक जब तक हम घर नहीं पहुंचे थे ,
यमुना को किसी को जवाब देना नहीं था, आज़ाद थी 
हम ही थें जिन्हें सारे दिन गायब रहने की वजह बतानी थी 
हमें यमुना संग यूँ नहीं जाना चाहिए घूमने 
क्यूंकि वो अलग सोच-विचार की हैं 
सोचती रही आखिर क्यों हमें जवाब देना हैं सभी को?
हम भी तो किराया देकर किरायेदार बनना चाहते हैं ?

फ़िज़ा 

Sunday, April 19, 2020

बायोडाटा तैयार रखना ..!



एक संपूर्ण दिन था रविवार का,
सुबह से श्याम तक के नाटक,
फिर रात का खाना और बर्तन ,
थकान बहुत थी सो चल दिए सोने,
देर रात यमुना का आगमन हुआ ,
फुसफुसाते पुछा जगी हो क्या ?
यमुना को देख बहुत उत्साहित हुए 
देखा जो न था उसे बहुत दिनों तक ,
ख़ुशी से उठे  जब उसने कहा शांत 
तहखाने में रहते हैं हम इस वजह से 
ऊपर हमारी सब आवाज़ पहुंचती है 
यमुना का वीकेंड सोमवार होता है 
कहा चलो निकल चलते हैं इस घर से 
ताकि कुछ पल जी लेते हैं दोस्ती के 
गर तुम रही यहाँ पादरी की संगत में,
पगला तो जाओगी मगर नौकरी से भी,
मुझे भी बात सही लगी और होगयी राज़ी 
सोते हुए कह गयी बायोडाटा तैयार रखना 
सभी के उठने से पहले निकलना है हमें 
घुमाएंगे तुम्हें टोरंटो कल चलना संग 
ले जायेंगे तुम्हें Eaton सेण्टर कल,
करेंगे मस्ती घूमेंगे संग हज़ार वहीँ 
~ फ़िज़ा 

यही ईश्वर की चाह है यही है उसका मार्ग !



गिरिजाघर में बहुतों से मिली,
पादरी ने नाम जो लिया था,
हर कोई उत्सुक था मेरी कहानी सुनने 
जिस किसी ने बात की हाथ मिलकर ,
उन सभी को बायोडाटा थमा दी हाथ में 
कहा कृपया अपने दफ्तर में देखिएगा 
मेरे लायक कोई भी नौकरी जो मिल सके,
ऐसे ही समय एक नए पादरी से मुलाकात हुई 
उनकी बीवी जो थी नर्स और छोटी बच्ची से मिली 
उनकी उदारता और हमदर्दी देख समझ गयी जल्दी 
वो चाहते थे मैं उनके घर रहूं इस पादरी को छोड़ दूँ 
कहने लगे बिना नौकरी कोई कैसे किराया ले,
रहना मुफ्त हमारे घर बिना किसी झिझक के ,
'मुफ्त' की बात से याद आया कभी पढ़ा था 
कुछ भी मुफ्त नहीं होता कीमत सबकी होती है 
उनकी सहानुभूति के लिए धन्यवाद् कहा और 
नौकरी हो सके तो कृपया इतनी मदत अच्छी होगी,
आंटी कुछ समझ गयी आवेश से हमें देख लिया,
ये समझते देर नहीं लगी की हमारी श्यामत आयी 
गाडी में सब चुप-चाप थे और हम भी कुछ न बोले 
अचानक आंटी ने पुछा क्या कहा रहा था वो पादरी?
ईश्वर की कृपा हम पे होती है उसे रास नहीं आता 
बिना किसी कांट -छांट के हमने भी केहा दिया सब 
आंटी झल्लायी ये पादरी हमसे छीन रहा है देखो 
बीवी को ग़ुस्सा होते देख पादरी को भी ग़ुस्सा आया 
घर पहुंचकर भोजन किया बच्चों के जाते ही बात हुई 
पादरी ने पुछा क्या सोचा है तुमने क्या है इरादा तुम्हारा,
स्वाभिमानी होकर हमने भी कहा जुबां की पक्की हूँ मैं 
कहीं नहीं जाना मुझे यहाँ किराया देखकर भी रहूंगी मैं 
पादरी ने सुनकर कहा देखो मेरी पत्नी बीमार रहती है 
तुम्हारे जाने का झटका वो सेहन न कर पायेगी 
कल उसे कुछ हुआ तो ये तुम्हारी ज़िम्मेदारी होगी 
ये सुनकर तो लगा जैसे भावनात्मक धमकी है 
मगर नए पादरी को परखने और समझने की क्षमता नहीं 
वादा किया नहीं जायेंगे छोड़के रहेंगे सदा वहीँ 
पादरी को जाना था भारत सो दे गए हमें काम 
अनुवाद करो मेरी कवितायेँ अन्य भाषाओँ में 
यही ईश्वर की चाह है यही है उसका मार्ग !

~ फ़िज़ा 

Friday, April 17, 2020

जन्मदिन की शुभकामनाएं रिया !


जीवन में साथी की कमी नहीं हुई 
न ही कभी किसी बेहना की कमी 
संग मेरी बिटिया जो थी हर पल 
दोस्त की तरह, दो राहों की तरह 
संग चले उबड़-खाबड़ डगरों से
मगर हमेशा हँसते-खेलते रहे 
जीवन इसी का नाम है और यूँही 
कब वक़्त गुज़रा भनक भी न हुई
हर साल, शुरू के सालों से गुज़रता है 
यही साल हरबार फिर नया लगता है
जाने कैसे बीत गया ये वक्त भी ऐसे 
जो ठहरा सा लगा ही नहीं कभी वैसे  
खुशियों को कहाँ छुपाये रखते हैं सब 
बेटियों के रूप में खिलतीं हैं जहाँ में 
जन्मदिन तो हर साल मनाया जायेगा 
हम तो उस जन्मदिन को याद रखते हैं 
जो पैदा होते ही हमें माँ की एहमियत 
सीखा गयी !
जन्मदिन की शुभकामनाएं रिया !

~ फ़िज़ा 

नए पादरी से मुलाकात हुई !

बायोडाटा बनगया था बस छपवाना रेहा गया था, 
समझ आया वहां और यहाँ के बायोडाटा में फर्क है,
भारत में जन्मपत्री तक लिखवा देते हैं जहाँ,
यहाँ गोपनीय बातें नहीं छपवाते थोड़े सभ्य हैं जहाँ ,
बिना पादरी के जाने दस कापियां छपवाए ही लिए ,
पादरी को स्याही की फ़िक्र तो कभी मेरे बारे में, 
वक्त कुछ अनुवाद में तो बाइबिल में गुज़रा,
उस रात नींद जल्दी आयी थी जेटलैग जो था,
यमुना एक नाम सा था जो दिन-रात काम ही करती
सोचा कभी कोई इतना समर्पित कैसे हो सकता है ,
क्या ज़िन्दगी जीने की चाह नहीं जीवनसाथी नहीं,
अगली सुबह सलीके से चर्च के लिए रवाना हुई 
आज्ञाकारी की तरह आंटी के संग गयी उन संग बैठी,
अपनी जैकेट टांग कर बेंच पर बैठे बाइबिल हाथ लेकर,
मैं जैसे कोई नमूना थी हर किसी की आँखें घुर रही थीं,
उनके बेटी और बेटा संग तो थे मगर इस सब से जुदा -जुदा,
प्रभु की स्तुति कहकर पादरी ने स्वागत किया हर किसी का,
मैंने भी हर किसी मिलती नज़र से झुक कर कहा नमस्ते,
ताज़्ज़ुब और हैरत है के बेचने का कौशल हर जगह कामियाब है 
पादरी ने मंच पर उपदेश देते हुए मेरा नाम पुकारकर स्वागत किया,
देखा, हाथ में मेरे माइक थमाके पुछा कहो कितनी व्याकुल हो धर्म बदलने ,
हैरान मैं ये सब देख मगर बारी आये तो खेल तो खेलना ही है ,
माइक पकड़कर पादरी की तारीफ करते हुए येशु के त्याग की कहानी पर 
पादरी को धन्यवाद केहकर सभी का अभिनन्दन किया और माइक दे दी,
पादरी के उम्मीद में कुछ खरी नहीं मैं उतरी, 
इसी बहाने नए पादरी से मुलाकात हुई !


~ फ़िज़ा 

Wednesday, April 15, 2020

येशु के काम में भाग्य मिलेगा और बरकत...!


शनिवार का दिन और यमुना काम में व्यस्त 
सोचा था वीकेंड वक्त बिताएंगे, संग बतियांएगे ,
मगर कुछ काम छुट्टियों के मोहताज नहीं,
जब काम के घंटे के हिसाब से हो तनख्वा,
खैर कोई चारा भी तो नहीं था मेरे पास,
सिवाय बाइबिल, पादरी परिवार के क्या था,
नाश्ता हो चूका था और बर्तन भी धो दिए थे,
सिखाया भी तो यही जाता है घर में मदत करो,
पादरी और बीवी बात-चीत पर उतर आये,
येशु के काम  में भाग्य मिलेगा और बरकत,
पूछने लगे क्या कविताओं का अनुवाद करोगी ?
एक से ज्यादा भाषा मेरे बायोडाटा में देखा था 
मुझे ये एक काम से कम नहीं लगा था 
इसीलिए भी पूछ लिया रोजगार मिलेगा?
खुदा के काम के कभी पैसे नहीं मांगते,
उनकी ख़ुशी को सही जानकर राज़ी हुई 
चंद पंक्तियों को हिंदी में लिखना शुरू किया 
तभी नज़र सामने पड़े कंप्यूटर पर पड़ी 
पूछ लिया क्या मैं इस्तेमाल कर सकती हूँ 
क्यूंकि उनकी बात से मैं राज़ी तो वो भी राज़ी 
जल्द ही अपना बायोडाटा बना लिया वहां,
तब तक दोपहर हो चुकी थी खाने का वक़्त था 
पादरी की बीवी को आंटी केहकर बुलाती थी 
वो अपने बच्चों की तारीफ़ में कुछ नहीं कहती 
कहना था उनका कनाडा छूट देती है बच्चों को 
जान गई थी की वो ज्यादा खुश नहीं थी 
मगर एक मेहनती नर्स थी २५ साल से 
मधुमेह और रक्तचाप से संघर्ष करती 
फिर भी कभी काम से छुट्टी नहीं लेती 
ज़िन्दगी भर के लिए इज्जत पा लिया
पर मुझे घर के काम-काज में लगा दिया 
सब्जियां कटवाती तो कभी नारियल कस्वाति 
बर्तन साफ़ करवाती और हरदम साथ चाहती 
कभी न ख़त्म होने की मानो एक कथा सी लगती 

~ फ़िज़ा 

Tuesday, April 14, 2020

बाइबिल का पाठ



येशु महान है, हलिलुय, हलिलुय !
इस तरह बाइबिल का पाठ शुरू हुआ 
वैसे मेरे पास कोई चारा भी तो न था 
पादरी के दयालुता और मेहरबानियां 
उस पर मेरा उनके प्रति आदर-सम्मान 
बस हाथ जोड़कर शुरू की प्रार्थना और 
जब बोले आत्मसमर्पण और आत्मत्याग
याद आया जॉन:४:३४ बाइबिल से जब 
पढ़ा करती थी अपने पडोसी के लिए 
पुरानी और नयी धर्म-पुस्तक बाइबिल 
लगा क्या ये संशोधन है मेरा फिर से ?
अपने अधिकारों को किसी पे सौंपना, 
सौंप भी दिया तो नौकरी देगा वो खुदा?
बेकरारी रोज़ी के लिए बिल जो भरना था,
मगर पादरी लगे समझाने और मैं ऊँघने 
दूर से पत्नी ने कहा आज के लिए छोड़ दो 
कल फिर कोशिश करना कामियाब होंगे 
सच में लगा खुदा बोल उठे मुझे बचाने 
किन्तु क्या कहा ? कल कामियाब होंगे?
इन्हीं सब ख्यालों में ऊंघते हुए मैं चली 
प्रार्थना-जन बिखरे आखरी प्रार्थना के बाद 
येशु महान है, हलिलुय, हलिलुय !

~ फ़िज़ा 

Monday, April 13, 2020

यमुना से दुरी बनाये रखो ..!



यमुना जल्दी में तो थी ही 
जाते हुए खाने को पूछ गयी 
घर का पका गोश्त और ब्रेड 
पहला भोजन खाया सा लगा
खाकर नींद की तैयारी में थी 
रात को फिर मिलेंगे केहा गई 
सर्दी ज़ोरों से थी मगर खुश थी 
भोजन पेट में निंदिया आँखों में 
कब आँख लगी पता भी न चला 
खुली आँख तो मेरा नाम सुना
यमुना काम से आगयी थी फिर  
कमरे का दरवाजा खोला मैंने 
नींद हो गयी ये तस्सली हुई तो 
आपस में परिचय हुआ हमारा  
एक-दूसरे को गले भी लगाया 
सच्चाई थी उसकी मुस्कान में 
केन्टुकी फ्राइज में केशियर थी 
देर रात की शिफ्ट वाली नौकरी  
सब परख ही रही थी अब भी मैं 
उसकी कहानी नसीहत भी सुनी 
सेहर हुई जब शुभरात्रि कहा हमने 
असल सवेरा हुआ जब पादरी आये 
नाश्ते का वक्त था सो ऊपर ले गए 
नाश्ते के साथ कुछ नियम भी सुनाये  
खाना मुफ्त में खाओ यहाँ आकर 
मगर रहने का किराया दो ज़रूर और  
यमुना से दुरी बनाये रखो तो अच्छा 
ये सुनकर ताज्जुब और हैरानियत हुई 
समझा के 'येशु' मेरे लिए एक ही था 
मगर वो पेंटेकोस्टल और कैथोलिक थे 
नज़रअंदाज़ कर दिया, के पादरी ने कहा 
रविवार को चर्च जायेंगे, तुम भी चलना  
पहले समझा तो लूँ 'येशु' ने क्यों त्याग 
दिया था जीवन अपना ?
  
फ़िज़ा  

Sunday, April 12, 2020

वैसे यहाँ कोई दूसरा चारा न था ...!

बीस घंटे पहली बार सफर करे 
और परेशानियों से लदा दिमाग,
तो नींद के सिवाय क्या सूझे ?
डेज-इन् कमरे में नींद ने आ घेरा 
परेशानियों को कल पे टाल दिया 
कब आँख लगी पता भी नहीं चला 
और नींद ने जप्त किया आगोश में यूँ 
सेहर तैयार हुई कॉफ़ी की चुस्की संग 
वकालत के किताब की भांति अख़बार 
बैठ गए ढूंढ़ने नौकरी और किराया घर
जैसे-तैसे फ़ोन पर हुई पादरी से बात 
जांच पड़ताल और हुई कई बातचीत  
अवसरवादी ही नज़र आये दोनों ओर 
वैसे यहाँ कोई दूसरा चारा न था 
पास में जेबखर्चा भी तो नहीं था 
चल दिए सफर पर जो ठीक लगा 
सफर लम्बा येशु की कहानियों से 
जैसे पहुंचे घर होमवुड, नॉर्थ योर्क 
प्रार्थना से लगे धर्म का उपदेश देने 
जहाँ येशु भी न रोक सका जेट-लाग् 
गए बेसमेंट में सोने जहाँ बिस्तर था 
छोटी खिड़की जो सड़क दिखाती हुई
कमरे के बाहर रसोई और बैठक-कक्ष 
जहाँ हम नहीं यमुना का निवास था
ऐसे मुलाकात हुई हमारी यमुना संग  !

फ़िज़ा  

Saturday, April 11, 2020

वो रात कुछ अजीब थी ..!



वो रात कुछ अजीब थी 
जाने अनजाने डरी हुई
आप्रवासन अध्यक्ष बुलाकर 
जांच-पड़ताल के बाद कहती 
इंतज़ार करो मेरे बुलाने का 
शायद जाना पड़ेगा वापस !
इस सोच में थी मैं के आये हैं 
विमानस्थल तो देख जायेंगे 
ज्यादा सोचने का वक्त न देते हुए 
महिला अध्यक्ष ने ठप्पा लगाया 
वीसा पर -आपका स्वागत है कनाडा में !
समय बड़ा अजीब था हड़बड़ाये हम  
कुछ सोचने या समझने का अवसर 
था ही नहीं तब बस चल दिए अंदर 
सामान बटोरकर बैठ गए एक तरफ 
सेहर का इंतज़ार था अजनबी से मिल गए !
कहा छोड़ देता हूँ रास्ते जो तुम कहो 
गाडी आती है भैया की सोच लो  
अनजानी रात, शहर और ये आलम 
सोचने लगे क्या कहकर टालें ये ऑफर 
हमने भी तुनक्कर कहा यहीं ठहरेंगे 
सेहर आते ही अमेरिका चले जायेंगे !
बन्दे ने होटलों के नाम गिनाये फिर  
कहा यहाँ ठहर सकते हो रात-भर 
खाली विमानस्थल और सन्नाटे से भीत 
कहा सुझाओ कोई अच्छी जगह रहने की 
डेज इन् पर कमरा बुक करवाया और 
विजिटिंग कार्ड देकर अलविदा कह लिए 
और हम उस रात होटल में रेहा लिए !!!

~ फ़िज़ा 

ज़िन्दगी जीने के लिए है

कल रात बड़ी गहरी गुफ्तगू रही  ज़िन्दगी क्या है? क्या कुछ करना है  देखा जाए तो खाना, मौज करना है  फिर कहाँ कैसे गुमराह हो गए सब  क्या ऐसे ही जी...