Tuesday, January 23, 2024

तू रुख मोड़ बढ़ जा आगे !


कुछ रिश्ते, कुछ बातें होने के लिए होतीं हैं 

वर्ना यूँही कौन कैसे किसी को समझता?

क्या अच्छा और अच्छा नहीं कैसे समझते?

जब तक हादसे और किस्से न समझाते हमें !

जब आँख खुले तभी सवेरा समझ लेना ठीक 

बेकार सोचने में वक़्त ज़ाया करने से क्या ?

जीवन की यही रीत है प्रकृति ने सिखलाई 

जो भी आये सामने तू रुख मोड़ बढ़ जा आगे !

~ फ़िज़ा 

Monday, January 01, 2024

नया साल मुबारक हो आपको!

 


आपकी ज़िन्दगी इस हलवे की तरह हो 
मीठा, और स्वादिष्ट !
ज्यादा मिठास न हो इसलिए 
एक आध इलायची का दाना मिल जाये 
मीठा तो कम मगर ज़ायका बना रहे 
काजू-बादाम का रोड़ा बीच में 
ले आये हल्का सा बदलाव 
मगर ज़िन्दगी की मिठास यूँही बना रहे 
ज़िन्दगी आपकी इस हलवे की तरह हो !
नया साल मुबारक हो आपको!

~ फ़िज़ा 

ज़िन्दगी जीने के लिए है

कल रात बड़ी गहरी गुफ्तगू रही  ज़िन्दगी क्या है? क्या कुछ करना है  देखा जाए तो खाना, मौज करना है  फिर कहाँ कैसे गुमराह हो गए सब  क्या ऐसे ही जी...