Friday, December 22, 2017

यादों के काफिले घूमते रहे ऐसे...!


कुछ इस तरह दिन गुज़रते हैं 
यादों के काफिले घूमते हैं 
काले बादलों की तरह जैसे 
कब बरसें तो अब बरसें 
बदल यूँही मंडराते रहते हैं 
एक आस और अंदेशा जैसे 
दिलों को दिलासा दिए जाते हैं 
इस तरह, यादों के काफिले घूमते हैं !
पूछती है मुझसे हर कली बाग़ में 
किसे ढूंढ़ते हो क्यारियों में ऐसे 
जाने क्या सोचकर हंस दिए वो 
जब कहा मैंने बादलों के बरसे 
मोतियाँ बटोरने आया हूँ मैं कब से 
कली मुस्कुरायी और बोली मुझसे 
यहाँ फूल बन ने तक रखता है कौन? 
इस तरह , यादों के काफिले फिर घूमते रहे!
सुना है गुलदान में रखते हैं फूलों को सजाके 
चलो फिर गुलदान ही को ढूंढा जाए 
यूँही फिर सफर चलता रहा मगर ऐसे 
के यादों के काफिले घूमते रहे ऐसे !!

~ फ़िज़ा 

Thursday, December 14, 2017

मुलाकात अभी बाकी है ....!



ज़िन्दगी में बहुत दोस्त मिलते हैं 
मगर ऐसे बहुत कम मिलते हैं 
जो खुद को बहुत छोटा और 
दूसरों को बहुत ऊपर देखते हैं 
ऐसा महसूस कराने वाले 
ज़िन्दगी में कम मिलते हैं 
दोस्ती कैसे निभाते हैं कोई 
आपसे सीखे जो मीलों दूर 
महीनों बिना बतियाये फिर भी 
हाल-चाल की खबर रखते 
सफर जब घर की तरफ हो 
घर ठहराए बिना नहीं भेजते 
हमेशा छोटे बच्चों की तरह 
हर ख्वाइश पूरी करते रहते 
गर अकेला महसूस भी किया 
तो परिवारों के बारे में सोचा उनके 
जो काम करते थे दफ्तर में आपके 
जीवन से हताश न होना और साहस 
औरों को देना ज़िन्दगी की यही 
परिभाषा अपनायी आपने
जाने लोग कितनी भी उम्र लगालें 
आप उस मासूम बच्चे की तरह 
उत्सुक और नयी तरकीबों को 
सोचते रहे और फिल्म बनाते रहे 
आज भी सभी को इस कदर छोड़ा 
के सब ज़िन्दगी की यादों में 
बहक गए !
वाह ! नीरज, 
यहाँ भी अपने अंदाज़ में चले
चलो कोई नहीं मुलाकात 
अभी बाकी है उन सभी बातों के लिए 
जिसे पूरी करने की ख्वाइश 
हम दोनों ने की.
~ फ़िज़ा

Saturday, December 02, 2017

भंवरें भी गुंजन गायेंगे !


पतझड़ का मौसम आया 
और चला भी जायेगा 
पुराने पत्ते खाद बन कर 
नए कोपलें शाख पर 
सजायेंगे !
तन्हाई भी कभी रूकती नहीं    
रहगुजर मिल ही जायेगा 
नए साथी होंगे समझनेवाले  
ज़िन्दगी के स्केच में रंग 
भरेंगे!
ग़मों का बादल बरस गया 
हरियाली से चमन भर जायेगा
नयी खुशबु लिए मौसम ज़रा 
फूलों के संग भंवरें भी 
गुंजन गायेंगे !

~ फ़िज़ा    

करो न भेदभाव हो स्त्री या पुरुष !

  ज़िन्दगी की रीत कुछ यूँ है  असंतुलन ही इसकी नींव है ! लड़कियाँ आगे हों पढ़ाई में  भेदभाव उनके संग ज्यादा रहे ! बिना सहायता जान लड़ायें खेल में...