Sunday, March 29, 2015

मोहबब्त हर किसी से नहीं होती है ....!!


कयी महीनों के दौरान उसमें 
एक बदलाव सा आया है 
हालात ने उसे अपने साथ
की आदत डलवाया है !
उसे देख बहुत दिनों बाद
मेरे अंदर एहसास जगाया है 
वो बदला तो हालात से 
मगर जज़्बात आज भी वही है !
उसकी बातें किसी से थी मगर 
उसकी मुस्कान अब भी वही है 
भोली सी बातें, भोली सी हंसी 
वही मोहब्बत की गुदगुदाहट है !
हालात कैसे भी हों आज या कल
एहसास तब भी और अब भी यही है 
दिलों में संजोये रखना ये प्यार क्यूंकि 
दुनिया से नज़र लगने का धोका है !
भुलाना नहीं ये प्यार किसी सूरत 
मोहबब्त हर किसी से नहीं होती है !!
~ फ़िज़ा 

Monday, March 16, 2015

मौसम की तरह वो बहार बनके आया



मौसम की तरह वो बहार बनके आया
खिलता हुआ तो कभी फलता हुआ आया
जिसे देखता वो उन्हें अपने पास लाता गया 
मिलनसार था वो मौसमों की तरह लेहराता गया 
फिर ना चाहते एक वो मौसम भी आया 
पतझड की तरह वो उसे भी साथ ले गया 
दरख्त की तरह तो दरस की तरह यादें छोड़ गया 
बैठें हैं उसकी छाँव में आज यादें ही सिर्फ  रेहा गया 
~ फ़िज़ा 

Monday, March 09, 2015

क्यूं मन पिघलता है जब मोहब्बत है?


मुझ से मोहब्बत को मोहब्बत है
ये जानते हुये भी के मुझे मोहब्बत है
कैसे ना रोक पाऊँ अपने आपको, मोहब्बत है
जो भी प्यार से मिले मुझे मोहब्बत है
क्यूं मन पिघलता है जब मोहब्बत है?
कैसा ये असर है कैसा खुमार ये मोहब्बत है ….

फ़िज़ा

करो न भेदभाव हो स्त्री या पुरुष !

  ज़िन्दगी की रीत कुछ यूँ है  असंतुलन ही इसकी नींव है ! लड़कियाँ आगे हों पढ़ाई में  भेदभाव उनके संग ज्यादा रहे ! बिना सहायता जान लड़ायें खेल में...