ज़िन्दगी जीने के लिए है



कल रात बड़ी गहरी गुफ्तगू रही 

ज़िन्दगी क्या है? क्या कुछ करना है 

देखा जाए तो खाना, मौज करना है 

फिर कहाँ कैसे गुमराह हो गए सब 

क्या ऐसे ही जीना है ज़िन्दगी हमें 

कुछ पल की बात है फिर कौन कहाँ 

चलो आज से जीने के नियम बनाएं 

ख़ुशी के लिए एक दिन निर्धारित करें 

घूमें-फिरें मस्ती करें ज़िन्दगी को लूट लें

बाकी तो सब चलता रहेगा ज़िन्दगी है 

पटरी पर है तो चलता भी रहेगा बेझिझक 

महीने में एक दिन अपने हित के लिए रख छोड़ 

ज़िन्दगी जीने के लिए है, यूँही गंवाना नहीं है !!!


~ फ़िज़ा 

 

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