Wednesday, April 01, 2020

केवल इंसान हैं


ज़िन्दगी चाहती क्या है ?
कुछ भी तो नहीं हमसे 
फिर भी जाने क्यों बोझ 
ढोये चलते हैं हम इंसान 
सामान पुराना कांधों पर
फिर ग़मों का क्यों न हो 
अहंकार का ही क्यों न हो 
हम बोझ ढाये जाते हैं और 
फिर एक महामारी आती है 
और सबको, सभी को वो 
अपनी औकात दिखाती है 
केवल इंसान हैं जो सिर्फ 
जी कर मर सकते हैं !

~ फ़िज़ा 

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