चंद यादों के बगुले ...!
मुझे घेर रही हैं चंद यादों के बगुले कभी बहुत दूर तो कभी बहुत करीब करते हैं भावुक कभी तो करते उत्सुक मुझे बढ़ जातीं हैं आकांशा जब जाते गहराई में खो देते हैं आज मेरा जुड़ जाते हैं बगुले संग उड़ान भरने जग सारा आहट ने दस्तख दिया रूबरू आज से हुआ मुझे घेर रही हैं चंद यादों के बगुले कभी बहुत दूर तो कभी बहुत करीब ! ~ फ़िज़ा #happypoetrymonth