Saturday, April 27, 2019

खिलते मेहकते रहेंगे !



सितमगर  कम न होंगें 
मगर हम  चुप न रहेंगे 
ज़िन्दगी  की तल्खियां 
तो हमेशा ही साथ होंगे 
हौसले मगर कम न होंगे 
धुप-छाँव बाढ़ या सूखा 
तब भी हर बार निखरेंगे 
सतानेवाले कम न होंगे 
चाहे  रूप  अनेक होंगे 
रिश्ते  बे-रिश्ते भी होंगे 
फिर भी मुस्कुराते रहेंगे 
खिलते मेहकते रहेंगे !

~ फ़िज़ा 

1 comment:

Harpreet Babbu said...

Bohat khoob Usha ji .

करो न भेदभाव हो स्त्री या पुरुष !

  ज़िन्दगी की रीत कुछ यूँ है  असंतुलन ही इसकी नींव है ! लड़कियाँ आगे हों पढ़ाई में  भेदभाव उनके संग ज्यादा रहे ! बिना सहायता जान लड़ायें खेल में...