आज कुछ इस तरह मेहसूस हो रहा है .....जैसे अपने घर को छोड दुर इस नई जगह पर आऐं हैं,
जहाँ नये जगह पर आने की खुशी तो है ही...लेकिन कहीं उदासी भी है....पुरानी जगह से दूर रेहने की वजह से....
जिस तरह पौधा एक क्यारी से दुसरी क्यारी में अपना स्थान गृहण कर लेता है...ठीक उसी तरह हम भी खानाबदोश
कि भाँति निकल पडे हैं....नये रंग और नयी दुनिया में....एक नई उमंग और नये हौसले के साथ.....
माँ का ठंडा आँचल मुझको आज फिर याद आया
इतने दिनों के बाद किसी ने खूब मुझे रुलाया है
कल तक खुश-खुश काट रही थी जीवन अपना
घर के खाली कमरे में आज यादों का दीया जलाया है
बरसों बाद मिले हो तुम दिल की ऐसी हालत है
माँ ने जैसे बच्चे को लोरी गाके सुलाया है
तुझको पा के खुशियों के मैं दीप जलाया करती हुँ
नये कल की कोशिश में अच्छा एहसास जगाया है
नई जगह है नये हैं लोग, नई है 'फिजा' फिर भी
अपनी धरती के जो रंग हैं उनको मन में बसाया है
~फिजा
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अच्छी यादें दे जाओ ख़ुशी से !
गुज़रते वक़्त से सीखा है गुज़रे हुए पल, और लोग वो फिर नहीं आते ! मतलबी या खुदगर्ज़ी हो एक बार समझ आ जाए उनका साथ फिर नहीं देते ! पास न हों...
-
फिर नया साल आया वोही पुराने सिलसिले मास्क टीके बूस्टर संग उम्मीदों से भरा नया साल कोशिश अब भी वही है खुश रहो, सतर्क रहो नादानी से बच...
-
जिस बात से डरती थी जिस बात से बचना चाहा उसी बात को होने का फिर एक बहाना ज़िन्दगी को मिला कोई प्यार करके प्यार देके इस कदर जीत लेता है ...
-
दशहरे के जाते ही दिवाली का इंतज़ार जाने क्यों पूनावाली छह दिनों की दिवाली एक-एक करके आयी दीयों से मिठाइयों से तो कभी रंगोलियों से नए...
6 comments:
Achhi hai....
Ghar se door, na ho udaas huzoor,
yaad aaye unko bhi aap zaroor :)
after a long time here...
its very beautiful...
shayad yahi zindagi hain :-)
About Poem
well written DON! IS blog pe post ki gayi ye tumhari sabse behtar kriti hai. bahut sundar really loved it.
नई जगह है नये हैं लोग, नई है 'फिजा' फिर भी
अपनी धरती के जो रंग हैं उनको मन में बसाया है
bahut khoob!
aur ek suggestion
कल तक खुश-खुश काट रही थी जीवन अपना
घर के खाली कमरे में एक यादों के दिये जलाये हैं
second line may be modified as
ghar ke khali kamre mein aaj yaadon ka diya jalaya hai
to improve flow!
About Correction
Dip should be DEEP, kindly correct it.
kya baat hai,
manish g aap to sach me DON ko hindi sikhakar chodenge.
Fiza ji, Nindak niyare rakhiye.
main kavita samajh nahi pata, dohe ya chand athwa sher-o-shayari seedhe dil me utar aati hai.
तरूण: आपकी राय का बहुत-बहुत धन्यवाद , उम्मीद है आगे भी अपनी राय देंगे
-सेहर
नागु: प्रेरणा स्तोत्र बातों का बहुत-बहुत शुक्रिया...आगे भी अपनी राय से हमें कृपया अवगत कराऐं
-सेहर
कौनकुवेस्ट: वाह! कोई और भी याद करता है, के दिलासे से मन ज़रूर हलका हुआ...
इस बात के लिऐ हम कृत्ज्ञन हैं :)
-सेहर
पुनित: सही कहा दोस्त, ये जीवन है, इस जीवन का..यही है, यही है रंग-रूप ;)
शुक्रिया दोस्त
-सेहर
मनिष: गलतियों को सुधार करने का प्रयास ज़ारी है :), धन्यवाद आपकी सहानुभूती के लिऐ ;)
-सेहर
कुमार चेतन: जी! कबिरदास जी ने खूब कहा है ;) लेकिन निंदक दुश्मन हो ये जरूरी नहीं :)
वैसे सही कहा दोहों की बात ही निराली है...मुझे ये मुहावरों से कम नहीं लगे, क्योंकि हर बार कुछ सिखने जरूर मिलता है
आपकी सुविधा के लिऐ शेरो-शायरी का प्रयोग करेंगे ;) शुक्रिया
-सेहर
Post a Comment