तेरा इंतजार करती है ....!!!!
आसमान में जब घने बादल छाऐं हों और बारिश की सिरफ गुंजाईश ही हो तब ऐक अजीब सी उलझन और विचलित सा मन हो जाता है....ऐसे में मन के तार किस राग की धुन बजाने लगते हैं...
ये घने शाम के बादल
मुझ से तेरा
पता पुछते हैं
और मैं
इन फिजाओं में
उडते पंछियों से
तेरी खबर लेती हुँ
तु जो परदेस गया है तो
न खबर लौट के ली
तुने
के मेरी हर साँस
तेरा इंतजार करती है
लौट आ! के मेरी रुह
अब तडपाती है
लौट आ...!!
~फिजा
ये घने शाम के बादल
मुझ से तेरा
पता पुछते हैं
और मैं
इन फिजाओं में
उडते पंछियों से
तेरी खबर लेती हुँ
तु जो परदेस गया है तो
न खबर लौट के ली
तुने
के मेरी हर साँस
तेरा इंतजार करती है
लौट आ! के मेरी रुह
अब तडपाती है
लौट आ...!!
~फिजा
Comments
uske kashish aur bekarari har pyar karne wale dil ne kabhi na kabhi mehsus ki hogi...
bahut khub likha hain
:-)>
shubhkaamnaon sahit,
kumar chetan
वैसे सिरफ परेम करने वालों को ही नही बलके....अपनों की याद बहुत आती है, फिर चाहे वो परेमी या परेमिका या फिर सगे समबंधि हों....बेकरारी सी तो होती ही है....:)जगु जी का ही गाया हुआ...ये गजल....फिर कुछ इस तरह दिल में बेकरारी सी है....:)
शुकरीया सराहने का....आते रहियेगा....
चियरस ;)
@kumar chetan:जनाब...कया केह रहे हैं....सार तो आपने दिया ही दिया ...और ऊपर से उदाहरण देकर भी समझाया...और आप केहते हैं आपको कुछ नहीं आता?.....ताजजुब है....अपने को कम न समझें....
परदे परदे में आताब अचछे नहीं
ऐसे अंदाज ऐ हिजाब अचछे नहीं ;)
शुकरिया हुजुर
चियरस
@nagu: आपका सराहना और ये अपनाईयत....और कया चाहिऐ हौसलाफजाई के लिऐ....
बहुत बहुत ममनुन हैं
शुकरिया हुजुर
चियरस
Shukriya!