कौन हुँ मैं ?
कभी ऐसा हूआ है आपके साथ जब कोई...आपकी हुनर को, आपकी अदा और नेक नियती को पसंद करने लगता है तो वो आप से आपके धरम, भाषा और आढंबरी बातों के विषय में पुछने लगता है...? मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ...और मेरे मन में जो भी कशमकश थी उसे कुछ ऐसा रुप दिया....उममीद है बात की हकीकत को आप जानेंगे और उसकी विडंबना को मेहसुस करने की कोशिश आप करेंगें.... आपके राय की मुनंतजीर..... :)
भीड में युहीं हम टेहल रहे थे
ये सोच कर के हम अकेले हैं
चलते गऐ हम बस चलते गऐ
न जानते हुऐ के मंजर किधर है
मौसगी का तकाजा था जो
हम भी थे कुछ बेहके बेहके से
के अचानक से लगा जो हम अकेले से थे
कोई साथ हो लिया हाथ हमारा पकड के
इस दोसती को मेहसुस ही कर रहे थे
के भीड से ये आवाज आई
"कौन हो तुम, कया जात हो तुम
कहाँ से आये और कया चाहते हो तुम?"
अचानक ही सब थम सा कयों गया
ये जो लुतफ है इसे उठाने कयों न दिया
साकी की खुशी मना भी न सके
के "फिजा" ये सवाल उठ खडा हो गया
कया मैं ऐक इंसान नही हुँ?
कया सिरफ इतना नही है जरुरी?
इनही खयालात में हम
फिर खो गये भीड में अकेले हम!!!!
~फिजा
भीड में युहीं हम टेहल रहे थे
ये सोच कर के हम अकेले हैं
चलते गऐ हम बस चलते गऐ
न जानते हुऐ के मंजर किधर है
मौसगी का तकाजा था जो
हम भी थे कुछ बेहके बेहके से
के अचानक से लगा जो हम अकेले से थे
कोई साथ हो लिया हाथ हमारा पकड के
इस दोसती को मेहसुस ही कर रहे थे
के भीड से ये आवाज आई
"कौन हो तुम, कया जात हो तुम
कहाँ से आये और कया चाहते हो तुम?"
अचानक ही सब थम सा कयों गया
ये जो लुतफ है इसे उठाने कयों न दिया
साकी की खुशी मना भी न सके
के "फिजा" ये सवाल उठ खडा हो गया
कया मैं ऐक इंसान नही हुँ?
कया सिरफ इतना नही है जरुरी?
इनही खयालात में हम
फिर खो गये भीड में अकेले हम!!!!
~फिजा
Comments
Hum tanhaa na chalthe to khud se kahaan milte
Chehron ke bheed mein, bhool aathe shakal apni...
Agar hum apne bare mein kisi ke man mein bhrama na utpanna hone dein to kuch hi sahi jo bhi mitra banenge wo jeewan paryant rahenge..
unki dosti ke aage na tumhari bhasha aade aayegi na tumhara dharm.
शुकरिया ..
शेर का जवाब:
कभी हमें भी साथ ले लिया होता
इतने बुरे भी नहीं पेहचान ने में हम ;)
आदाब
@kumar chetan: शुकरिया :)
@manish: बात जब internet world की हो तो बहुत सी बाधाऐं और बंदिशें होती हैं...और ये जरुरी नहीं की हर किसी से आप उस खास तरिके से राबता रखें....किंतु कुछ बातें पसंद आऐं तो उसे उसकी पहुँच तक ही रखना चाहिऐ
खैर...आपकी बात शायद अपनी जगह सही हो....
टिपणी का शुकरीया...
@tarun:सुसवागतम इस बलोग तक तशरिफ जो लाऐ....और अपने विचार पेश किये...
शुकरीया...आते रहियेगा....