आज दिल कुछ बोझल सा है ये दिल भी कितना नादान है....जाने कब की लिखी बातें होतीं हैं और इस पर असर कर जातीं हैं ऐसा ही कुछ दिल का हाल है....वाकई में हम कहाँ के इंसान हैं...जो कभी किसी के बारे में सोचते ही नहीं आज ऐसे ही कुछ बातों को लेकर...एक दिल झंझोडने वाली कविता पेश ए खिदमत है....
उमर ढलती जा रही है
जिंदगी शरमा रही है
इस मकान की चौखट से
माँ ये गाना गा रही है
सामने लेटा है बचचा
और वो सुला रही है
बरतनों में सिरफ पानी
आग पर चढा रही है
बासी रोटियों के टुकडे
समझकर अमरित खा रही है
सामने बडा सा घर है
जिस से रोशनी आ रही है
खूब हंगामा मचा है
मौसगी बहार आ रही है
साज् पे थरकते लोग
मगरिब जिला पा रही है
हम कहाँ के हैं इंसान
समझ कयों नहीं आ रही है ?
~ फिजा
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
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7 comments:
अरे वाह एक ओर हिन्दी ब्लोग। सेहर अच्छा लगा आपका ब्लोग देखकर...अभी सब को खबर करता हूँ। नारद मुनि को भी।
is baar kuch gambhir ho giya.
koi tippni nahi.
gambheerta mere vyaktitva me bahut hi kam aati hai.
हिन्दी ब्लाग-जगत में आपका आत्मीय अभिनन्दन !
ये कविता बहुत ही सरल और असरकारक है | अच्छी लगी |
अनुनाद
@तरुण: वाह क्या बात है...बहुत अच्छा लगा आपको यहाँ देखकर...उम्मीद है आप आगे भी आते रहेंगे...
सेहर
@कुमार चेतन: आपकी बातें गंभीरता में भी हँसा देते हैं... टिप्पणी तो करनी ही होगी...आखिर हमारा मार्गदर्शन कौन
करेगा...आते रहिऐ..
सेहर
@अनुनाद सिंह: आपका स्वागत है.... सेहर में..कविता पसंद करने का बहुत-बहुत शुक्रिया..उम्मीद है आगे भी आप हमारा हौसला बढाऐंगें......आते रहिऐगा..
आपकी आभारी.....सेहर
Gambheer vichaar..
kaafi gehrai se likha hain
@kaunquest - Puneet: Zindagi ko kareeb se dekhne ke mauqe baar baar nahi aate aur jab aate hein to bahut geharayee tak le jaate hein :)
shukriya yahan aakar padhne ka aur tippani dene ka
Khush rahein sada
:)
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