आसमान में जब घने बादल छाऐं हों और बारिश की सिरफ गुंजाईश ही हो तब ऐक अजीब सी उलझन और विचलित सा मन हो जाता है....ऐसे में मन के तार किस राग की धुन बजाने लगते हैं...
ये घने शाम के बादल
मुझ से तेरा
पता पुछते हैं
और मैं
इन फिजाओं में
उडते पंछियों से
तेरी खबर लेती हुँ
तु जो परदेस गया है तो
न खबर लौट के ली
तुने
के मेरी हर साँस
तेरा इंतजार करती है
लौट आ! के मेरी रुह
अब तडपाती है
लौट आ...!!
~फिजा
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अच्छी यादें दे जाओ ख़ुशी से !
गुज़रते वक़्त से सीखा है गुज़रे हुए पल, और लोग वो फिर नहीं आते ! मतलबी या खुदगर्ज़ी हो एक बार समझ आ जाए उनका साथ फिर नहीं देते ! पास न हों...
-
फिर नया साल आया वोही पुराने सिलसिले मास्क टीके बूस्टर संग उम्मीदों से भरा नया साल कोशिश अब भी वही है खुश रहो, सतर्क रहो नादानी से बच...
-
जिस बात से डरती थी जिस बात से बचना चाहा उसी बात को होने का फिर एक बहाना ज़िन्दगी को मिला कोई प्यार करके प्यार देके इस कदर जीत लेता है ...
-
दशहरे के जाते ही दिवाली का इंतज़ार जाने क्यों पूनावाली छह दिनों की दिवाली एक-एक करके आयी दीयों से मिठाइयों से तो कभी रंगोलियों से नए...
6 comments:
intezar ka bhi alag maza hain
uske kashish aur bekarari har pyar karne wale dil ne kabhi na kabhi mehsus ki hogi...
bahut khub likha hain
:-)>
ummmm, darasal main kavitaon woh bhi hindi ki kavitaon ka saar nahi samajha paat. ho sakta hai ke tumne bahut achi kavita likhi ho par main ek moodh mati hun. haan sher-o-shayari mer meri dilchaspi hai. kisi ne kaha hai ke agar intezaar na ho to duniye me se aadha sahitya khatam ho jaye. pyasa hi jaanta hai ke pani ka swad kya hai.
shubhkaamnaon sahit,
kumar chetan
@puneet: वाह! लगता है सही जगह तीर लगी ....:D
वैसे सिरफ परेम करने वालों को ही नही बलके....अपनों की याद बहुत आती है, फिर चाहे वो परेमी या परेमिका या फिर सगे समबंधि हों....बेकरारी सी तो होती ही है....:)जगु जी का ही गाया हुआ...ये गजल....फिर कुछ इस तरह दिल में बेकरारी सी है....:)
शुकरीया सराहने का....आते रहियेगा....
चियरस ;)
@kumar chetan:जनाब...कया केह रहे हैं....सार तो आपने दिया ही दिया ...और ऊपर से उदाहरण देकर भी समझाया...और आप केहते हैं आपको कुछ नहीं आता?.....ताजजुब है....अपने को कम न समझें....
परदे परदे में आताब अचछे नहीं
ऐसे अंदाज ऐ हिजाब अचछे नहीं ;)
शुकरिया हुजुर
चियरस
@nagu: आपका सराहना और ये अपनाईयत....और कया चाहिऐ हौसलाफजाई के लिऐ....
बहुत बहुत ममनुन हैं
शुकरिया हुजुर
चियरस
oye hoye! ye tadap ye beqrari kin dinon ki hai bhai:)
do me a favor, see http://bewajah.blogspot.com/ and do wish Chinni.
Kabhi kabhi tanhai mein aapki ghazalein aur radio blog bada sukun deti hain.
Shukriya!
Post a Comment