Monday, February 06, 2006

तेरा इंतजार करती है ....!!!!

आसमान में जब घने बादल छाऐं हों और बारिश की सिरफ गुंजाईश ही हो तब ऐक अजीब सी उलझन और विचलित सा मन हो जाता है....ऐसे में मन के तार किस राग की धुन बजाने लगते हैं...

ये घने शाम के बादल
मुझ से तेरा
पता पुछते हैं
और मैं
इन फिजाओं में
उडते पंछियों से
तेरी खबर लेती हुँ
तु जो परदेस गया है तो
न खबर लौट के ली
तुने
के मेरी हर साँस
तेरा इंतजार करती है
लौट आ! के मेरी रुह
अब तडपाती है
लौट आ...!!


~फिजा

6 comments:

PuNeEt said...

intezar ka bhi alag maza hain
uske kashish aur bekarari har pyar karne wale dil ne kabhi na kabhi mehsus ki hogi...

bahut khub likha hain

:-)>

kumarldh said...

ummmm, darasal main kavitaon woh bhi hindi ki kavitaon ka saar nahi samajha paat. ho sakta hai ke tumne bahut achi kavita likhi ho par main ek moodh mati hun. haan sher-o-shayari mer meri dilchaspi hai. kisi ne kaha hai ke agar intezaar na ho to duniye me se aadha sahitya khatam ho jaye. pyasa hi jaanta hai ke pani ka swad kya hai.
shubhkaamnaon sahit,
kumar chetan

Dawn said...

@puneet: वाह! लगता है सही जगह तीर लगी ....:D
वैसे सिरफ परेम करने वालों को ही नही बलके....अपनों की याद बहुत आती है, फिर चाहे वो परेमी या परेमिका या फिर सगे समबंधि हों....बेकरारी सी तो होती ही है....:)जगु जी का ही गाया हुआ...ये गजल....फिर कुछ इस तरह दिल में बेकरारी सी है....:)
शुकरीया सराहने का....आते रहियेगा....

चियरस ;)

@kumar chetan:जनाब...कया केह रहे हैं....सार तो आपने दिया ही दिया ...और ऊपर से उदाहरण देकर भी समझाया...और आप केहते हैं आपको कुछ नहीं आता?.....ताजजुब है....अपने को कम न समझें....

परदे परदे में आताब अचछे नहीं
ऐसे अंदाज ऐ हिजाब अचछे नहीं ;)

शुकरिया हुजुर
चियरस

@nagu: आपका सराहना और ये अपनाईयत....और कया चाहिऐ हौसलाफजाई के लिऐ....
बहुत बहुत ममनुन हैं

शुकरिया हुजुर
चियरस

Manish Kumar said...

oye hoye! ye tadap ye beqrari kin dinon ki hai bhai:)

kumarldh said...

do me a favor, see http://bewajah.blogspot.com/ and do wish Chinni.

Nikhil Ranjan said...

Kabhi kabhi tanhai mein aapki ghazalein aur radio blog bada sukun deti hain.

Shukriya!

करो न भेदभाव हो स्त्री या पुरुष !

  ज़िन्दगी की रीत कुछ यूँ है  असंतुलन ही इसकी नींव है ! लड़कियाँ आगे हों पढ़ाई में  भेदभाव उनके संग ज्यादा रहे ! बिना सहायता जान लड़ायें खेल में...