यादों के सफर में
मुझे फिर कोई ले चलता है मेरे लड़कपन की ओर
बातों से तो कभी तस्वीरों से जिज्ञासा बढ़ता कभी
हालत समझो ज़रा दूर अपने देश से उन दिनों से भी
कभी सोचूं उसी काल में रहा लूँ ज़रा कुछ पल के लिए
फिर इस पल की इन दिनों की सोचूं तो फिर क्या करूँ
काश! पल रुक जाते जब हम चाहते थम जाते वो पल
फिर उस पल में लौट पाते और फिर से चलते वहां से
चलते-चलते पहुँचते आज तक देखते कैसा होता सब
यादों के पल फिर से लड़कपन की ओर खींचते और
हम उसी लड़कपन में नया कोई निर्णय लेकर चलते
यूँहीं ज़िन्दगी के ख्वाब आते-जाते देख खुश हो जाते
~ फ़िज़ा
Comments
Abhar!
@Jigyasa Singh ji aapka bahut shukriya houslaafzayi ka. Aap ke blog par hum pahunch he rahe hain jald :) dhanyavaad, Abhar!
@संगीता स्वरुप ( गीत ) ji, shukriya aapke abhipray ka, dhanyavaad, Abhar!
@ रेणु ji, aapka behad shukriya rachna pasand karne ka aur houslafzayee ka, dhanyvaad
Abhar!