जाने किस हाल में होगा वो ,
जाने क्या होगा उसका आगे ,
वो खुद भी नहीं आया मर्ज़ी से,
जब लाया तो क्यों ख्याल न रखा ,
वो आज लाचार है बेबस भी ,
परेशान है मेरे साथ ही क्यों ऐसा?
औरों सा सब कुछ मेरा क्यों नहीं?
संकट में पला एक बच्चे का कमरा ,
उस कमरे में एक खिड़की खुली सी ,
झांक कर देखा तो क्या
बांसूरीवाले बाबा !
~ फ़िज़ा
3 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 10 एप्रिल 2023 को साझा की गयी है
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बेहतरीन रचना
बांसूरीवाले बाबा ....
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