बांसूरीवाले बाबा


 जाने किस हाल में होगा वो ,

जाने क्या होगा उसका आगे ,

वो खुद भी नहीं आया मर्ज़ी से,

जब लाया तो क्यों ख्याल न रखा ,

वो आज लाचार है बेबस भी ,

परेशान है मेरे साथ ही क्यों ऐसा?

औरों सा सब कुछ मेरा क्यों नहीं?

संकट में पला एक बच्चे का कमरा ,

उस कमरे में एक खिड़की खुली सी ,

झांक कर देखा तो क्या 

बांसूरीवाले बाबा !

~ फ़िज़ा 

Comments

yashoda Agrawal said…
आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 10 एप्रिल 2023 को साझा की गयी है
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!
Onkar said…
बेहतरीन रचना
बांसूरीवाले बाबा ....

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