स्वयंसेवक बनकर गए लेकेट नामी खेत में
फसल कटनी है जो गरीबों के काम आनी है
ख़ुशी-ख़ुशी चल दिए खेत में कटनी करने
कोहलरबी की फसल जो शलजम सा है
खाने में पौष्टिक और ताज़ी फसल
मेहनत से किसी ने बोया मगर फल ?
फल की कटनी किसी ने की और
फल खायेगा कोई किस्मतवाला
४४० किलो की कटनी मिलकर की
जो १५० परिवारों का भोजन बना
नियति का भी क्या खेल है,
वो सब रचता है - कौन बोयेगा,
कौन कटनी करेगा और कौन खायेगा
एक दाना जो पेट भरता है वो जाने
कितने लोगों से मिलकर आता है
हर दाने की एक ऐसी कहानी होगी
जिसे शायद ही कोई जान पाए ,
ये मेरी तरफ से कोहलरबी के सफर की
एक कहानी तेल अवीव में घटी विस्मर्णीय
कहानी ! !
~ फ़िज़ा
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