ज़िन्दगी भोजन के इर्द-गिर्द है
हर कोई रोजी-रोटी के लिए
मारा-मारा फिरता है शहर -शहर
ख़ुशी मनाता है तब भी भोजन से
त्यौहार मनाता है तब भी भोजन से
जीने के किये चाहिए भी भोजन
और थोड़ा प्यार !
कब इस अधिकार और शक्ति की
ज़रुरत ज़िन्दगी में आ धमकी के ,
इंसान एक-दूसरे से लड़ते रेह गया
कितने की ज़रुरत थी और देखो
कितना कुछ कर गया इंसान ,
इस अधिकार के जतन में वो
हैवान बन गया !!!
~ फ़िज़ा
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