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Showing posts from 2023

ज़िन्दगी

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  ज़िन्दगी अपनी है और अपने तरीके से जिए  कब तरीके किसी और के हुए जाना ही नहीं ! आदि हैं सीधे तौर-तरीके से मुद्दे को सामने रखते  इशारों में कितना कुछ कह दिया जाना ही नहीं !  वक्त-वक्त पर बदला हुआ फैसला साथ रहेंगे  दरअसल भाग जाने के बहाने जाना ही नहीं !  क्या थे हम? किसे थे हम, नाज़ था खुद पर  आज खुद को देखकर कौन है जाना ही नहीं ! नारी तो बदलती ही है हर हाल में फिर भी  फ़िज़ा उम्मीद उसी से क्यों? ये जाना ही नहीं ! ~ फ़िज़ा 

इसरायली बंकर

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आओ तुम्हें इस खंडहर की कहानी सुनाऊँ  एक बार सीरिया ने अंधाधुन धावा बोल दिया  इसरायली सिपाही इस धावा के लिए तैयार न थे  नतीजा ३६ इसरायली सिपाही एक बंकर में छिपे  सीरिया के सिपाहियों ने चारों तरफ से घेर लिया  एक इसरायली बंकर से निकला हाथ ऊपर किये  कहने लगा, यहाँ कोई नहीं है सिर्फ मैं हूँ  ले चलो मुझे ! उसने ३५ सिपाहियों की जान बचायी और  खुद दुश्मनों के हवाले कर दिया, युद्ध-बंदी के रूप में आठ साल कैद रहा, जब बाहर निकला तो उसे पता न था के  इजराइल अभी विश्व के नक़्शे में है भी ! पुछा कहाँ जाओगे तो कहने लगा भारत ! उसे  क्या पता था के इजराइल उसका  स्वागत करने के लिए बेकरार है ! शहीदों की कहानी तो शूरवीरों की मस्तियाँ   आई. डी. ऍफ़. कमांडर याकोव सेलवन की ज़ुबानी  आज वो बंकर इस हाल में है तो सोचो  उन सिपाहियों का क्या हुआ ? हर सिपाही को मेरा सलाम , प्रणाम! ~ फ़िज़ा    

बांसूरीवाले बाबा

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 जाने किस हाल में होगा वो , जाने क्या होगा उसका आगे , वो खुद भी नहीं आया मर्ज़ी से, जब लाया तो क्यों ख्याल न रखा , वो आज लाचार है बेबस भी , परेशान है मेरे साथ ही क्यों ऐसा? औरों सा सब कुछ मेरा क्यों नहीं? संकट में पला एक बच्चे का कमरा , उस कमरे में एक खिड़की खुली सी , झांक कर देखा तो क्या  बांसूरीवाले बाबा ! ~ फ़िज़ा 

मंज़िल

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  रास्ता है एक मगर लम्बा  मंज़िल दिख तो रही है  मगर पहुंचना है मुश्किल  उबड़-खाबड़ रस्ते पत्थरों के जाएं तो कैसे जाएँ ? मुँह मोड़ा न जाए क्यूंकि, मंज़िल तो सामने दिख रही  नज़रअंदाज़ करना है नामुमकिन  मगर वही तो प्रेरणा दे रही है  मंज़िल जो अब भी मुझे दिख  रही है  रास्ता है एक और मंज़िल भी  चलो चलें कहीं तो पहुंचेंगे  शुरुवात तो करें फिर देखें !! ~ फ़िज़ा  [ ये कविता अप्रैल ७ को पोस्ट नहीं कर पायी ]

विश्व का सबसे बड़ा चम्मच !

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  चम्मच किसको नहीं पसंद  दूर की चीज़ को पास लाये  कभी ज्यादा तो कभी कम  जितना चाहो उतना ही लो  ये चम्मच है कमाल का  १६.१८ मीटर लम्बा २.०३ गहरा  विश्व का सबसे बड़ा चम्मच  वैसे लोग भी कभी होते हैं - चम्मच  कभी किसी की चमचागिरी  तो कभी चमचा ही बन जाते है  चलो आज इस चम्मच से मिलाते हैं  जो कभी उरी गेलर को मिली थी ! ~ फ़िज़ा 

थोड़ा प्यार !

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  ज़िन्दगी भोजन के इर्द-गिर्द है  हर कोई रोजी-रोटी के लिए  मारा-मारा फिरता है शहर -शहर  ख़ुशी मनाता है तब भी भोजन से  त्यौहार मनाता है तब भी भोजन से  जीने के किये चाहिए भी भोजन और थोड़ा प्यार ! कब इस अधिकार और शक्ति की  ज़रुरत ज़िन्दगी में आ धमकी  के , इंसान एक-दूसरे से लड़ते रेह गया  कितने की ज़रुरत थी और देखो  कितना कुछ कर गया इंसान , इस अधिकार के जतन में वो  हैवान बन गया !!! ~ फ़िज़ा 

कटनी

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स्वयंसेवक बनकर गए लेकेट  नामी खेत में  फसल कटनी है जो गरीबों  के काम आनी है  ख़ुशी-ख़ुशी चल दिए खेत में कटनी करने  कोहलरबी की फसल जो शलजम सा है खाने में पौष्टिक और ताज़ी फसल  मेहनत से किसी ने बोया मगर फल ? फल की कटनी किसी ने की और  फल खायेगा कोई किस्मतवाला  ४४० किलो की कटनी मिलकर की जो १५० परिवारों का भोजन बना  नियति का भी क्या खेल है, वो सब रचता है - कौन बोयेगा,  कौन कटनी करेगा और कौन खायेगा  एक दाना जो पेट भरता है वो जाने  कितने लोगों से मिलकर आता है  हर दाने की एक ऐसी कहानी होगी  जिसे शायद ही कोई जान पाए , ये मेरी तरफ से कोहलरबी के सफर की  एक कहानी तेल अवीव में घटी विस्मर्णीय  कहानी ! ! ~ फ़िज़ा   

मोहब्बत

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  तेल अवीव शहर के एक छोटे से बाजार से  गुज़रते हुए इस बेंच पर नज़र पड़ी  दिल से भरे इस बेंच को देख ख़ुशी हुई  तभी किसी ने कहा, - देखा है उस आदमी को तुमने? वो लोगों के दिल मिलाता है खुशियां बांटता है ! ये सुनकर सब हंस पड़े के टिंडर और शादी डॉट कॉम  के होते  हुए आज के युग में ये सब? मगर ये सच है इस शहर की दास्ताँ  जहाँ एक आदमी लोगों के दिल जोड़ता है ! ~ फ़िज़ा 

तेल अवीव - इजराइल की दास्ताँ

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  पहुंचे थे यहाँ स्वयंसेवक बनकर, कुछ न पता था जा रहे किधर , मिले कुछ अजनबियों से  वहाँ , जो स्वयंसेवक आये बनकर  असफ नाम का गाइड आया  सभी से मिला स्वागत करते हुए  तेल अवीव के समुन्द्र तट पर गए  कुछ शहर की जानकारी देते हुए  असफ ने हमें उतारा समुन्द्र तट पर, आये हो यहाँ तक तो कुछ काम करो  समुद्र तट में पड़े प्लास्टिक को साफ़ करो  मछलियों के पेट से होकर आते हमारे अंदर  इंसान की फितरत को सुधारें आज नेकी से  ~ फ़िज़ा 

स्वयंसेवक का ये सफर

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  कुछ सपने देखने से पहले पूरे होते हैं  ऐसा ही कुछ आजकल हुआ मेरे संग  इजराइल के बारे में सुना तो था बहुत  मगर वहां जाना और लोगों से मिलना  सपने में भी नहीं कभी सोचा जाना वहां  कुछ ने डर जताया और कुछ ने हैरानगी  मगर दिल की सुनने के आदि जो हैं हम  मुड़कर न देखा किसी को फिर चल दिए  खुली आँखों से देखे नज़ारे मिले लोगों से  ज़रूरतमंदों के संग बिताये पल खेले कूदे  कहीं सब्ज़ज़ियाँ तोड़ी तो कहीं धान्य भरे  अस्वस्थ बच्चों को जोकर बनकर हंसाया  ज़मीन से जुड़कर ज़मीन के लोगों से मिले  इंसानियत की हवा और प्यार वहां भी है  हर जाती के लोग वहां भी हैं और खुश हैं  बच्चों के दिलों को जोड़ने वाले इंसान  डॉक्टर के रूप में कितनों को ठीक करते हैं  ज़िन्दगी को ज़िंदगी के करीब आते देखा  इस तरह इजराइल को नज़दीक से देखा  एक सपना जो देखने से पहले पूरा हुआ  स्वयंसेवक का ये सफर दिल बागबां हुआ ! ~ फ़िज़ा 

बुरा न मानों होली है !!!!

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  सवेरे-सवेरे मीटिंग में जब सुना  कल छुट्टी है क्यूंकि होली है  मन ही मन होली के गुब्बारे  रंगों से भरे दिल में फोड़ आये  मैंने कहा खुद ही से अरे , बुरा न मानों होली है !!!! ~ फ़िज़ा 

चैरिटी का चादर

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 चैरिटी का नाम कुछ इस तरह  इस्तेमाल करते हैं हर जगह  मानों कोई एहसान जिस तरह  मदत की उम्मीद करते है कभी  दिलदार समझ कर ही आते हैं  देने वाले का गुरुर जब देखते है  चैरिटी का ओढ़ा चादर उससे  निकलकर नंगा कर देता है  कभी पैसा अँधा करता है हर कहीं पैसे का शोशा है  अमीर गरीब का खेला है ! ~ फ़िज़ा 

उसके होंठों से

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उसकी तलब या मेरी तड़प समझ लो  उसके होंठों से लगे मेरे होंठ  प्यास या हवस की व्याकुलता  जब मिले, कण-कण से बुझाती तृष्णा  होठों से होकर जुबां से गुज़रते हुए  हलक से जब वो गरमा गरम  गुज़रती है तो वो किसी  कामोन्माद से कम नहीं  ये एहसास सिर्फ अनुभव है  आजमा के देखिये कभी ! ~ फ़िज़ा