Monday, February 20, 2023

उसके होंठों से


उसकी तलब या मेरी तड़प समझ लो 

उसके होंठों से लगे मेरे होंठ 

प्यास या हवस की व्याकुलता 

जब मिले, कण-कण से बुझाती तृष्णा 

होठों से होकर जुबां से गुज़रते हुए 

हलक से जब वो गरमा गरम 

गुज़रती है तो वो किसी 

कामोन्माद से कम नहीं 

ये एहसास सिर्फ अनुभव है 

आजमा के देखिये कभी !


~ फ़िज़ा 

No comments:

ज़िन्दगी जीने के लिए है

कल रात बड़ी गहरी गुफ्तगू रही  ज़िन्दगी क्या है? क्या कुछ करना है  देखा जाए तो खाना, मौज करना है  फिर कहाँ कैसे गुमराह हो गए सब  क्या ऐसे ही जी...