उसके होंठों से


उसकी तलब या मेरी तड़प समझ लो 

उसके होंठों से लगे मेरे होंठ 

प्यास या हवस की व्याकुलता 

जब मिले, कण-कण से बुझाती तृष्णा 

होठों से होकर जुबां से गुज़रते हुए 

हलक से जब वो गरमा गरम 

गुज़रती है तो वो किसी 

कामोन्माद से कम नहीं 

ये एहसास सिर्फ अनुभव है 

आजमा के देखिये कभी !


~ फ़िज़ा 

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